नई दिल्ली: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हमेशा मुकाबलों में कड़ी टक्कर होती आई है और खिलाड़ियों में मैच जीतने के जूनून की वजह से कई बार प्लेयर्स के बीच कहा सुनी हो जाती है. भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी ऐसा नजरा देखने को मिल सकता है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कोच जस्टिन लैंगर (Justin Langer) ने कहा कि इस बार भारत के खिलाफ सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी आक्रामक होंगे लेकिन इस बात का आश्वासन है कि अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा लेकिन तंज कसने के अलावा ह्यूमर भी मैदान पर देखने को मिलेगा.


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लैंगर से जब पूछा गया कि ऑस्ट्रेलियाई टीम बीते कुछ वर्षों    में छींटाकशी करती नहीं दिखी है तो क्या वह अपने घर में जो बढ़त उसे हासिल थी वो खो चुकी है जो उसे उस समय हासिल थी जब वह खुद खेला करते थे?


इस पर लैंगर (Justin Langer) ने कहा, ‘पूर्व खिलाड़ी के मेरे अनुभव से मुझे लगता है कि लोग ऑस्ट्रेलिया में आने से इसलिए घबराते थे क्योंकि उन्हें महान खिलाड़ियों का सामना करना होता था ना कि इसलिए कि उन्हें छींटाकशी से डर लगता था. अगर आप ग्लेन मैक्ग्रा, शेन वार्न का सामना करेंगे या स्टीव वॉ, एडम गिलक्रिस्ट, रिकी पोंटिंग को गेंदबाजी करेंगे तो मुझे लगता है कि इससे आपको ज्यादा घबराहट होगी बजाए इसके कि कोई क्या कह रहा है’.


स्टीव स्मिथ ने कहा था कि आईपीएल जैसी फ्रेंचाइजी लीग के आने से इन दिनों छींटाकशी करना मुश्किल हो गया है. स्मिथ ने कहा था कि एक सीरीज में आपका प्रतिद्वंदी अगले कुछ महीनों में फ्रेंचाइजी लीग में आपका साथी हो सकता है.


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ऑस्ट्रेलिया को पहले एक ऐसी टीम के तौर पर जाना जाता था जो छींटाकशी में माहिर थी. लैंगर उस ऑस्ट्रेलियाई टीम के क्लोज इन फिल्डरों (बल्लेबाज के पास फील्डिंग करने वाले) में से थे जिसे 2002 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ ने छींटाकशी के लिए 'बिलो द बेल्ट' कहा था. वॉ ने हालांकि अपनी टीम का यह कहते हुए बचाव किया था कि यह मानसिकता को भंग करने के लिए होता है.


दक्षिण अफ्रीका में ही हालांकि 2018 में हुए बॉल टेम्परिंग मामले के बाद से ऑस्ट्रेलियाई टीम में बदलाव आया है. टीम ने तब से अपनी संस्कृति बदलने की कोशिश की है. इस विवाद में स्मिथ और वार्नर को एक-एक साल का बैन झेलना पड़ा था.


लैंगर ने माना कि तब से चीजें बदली हैं. उन्होंने माना कि आगामी सीरीज में प्रशंसक मैदान पर तंज देखेंगे लेकिन उसमें सेंस ऑफ ह्यूमर होगा न कि अपशब्द.


लैंगर (Justin Langer) ने कहा, ‘मौजूदा ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की बात करें तो, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षो में हमारी क्रिकेट देखी है, मैदान के अंदर भी और बाहर भी, इसमें अपशब्दों को जगह नहीं हैं, लेकिन तंज, प्रतिस्पर्धा के लिए है. एक खिलाड़ी और एक कोच के तौर पर मुझे लगाता है कि यह काफी अच्छी है’.


उन्होंने कहा, ‘आक्रामकता के पल होंगे जैसे सभी खेलों में होते हैं, लेकिन अपशब्द नहीं होंगे. पिछली बार जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था तब कई उदाहरण मिले थे-टिम पेन का सेंस ऑफ ह्यूमर अच्छा है’.


लैंगर (Justin Langer) ने कहा कि उनकी टीम को विराट कोहली के मैदानी व्यवहार से फर्क नहीं पड़ता.


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उन्होंने कहा, ‘विराट जो करते हैं वो हमें पसंद है. पिछली बार ह्यूमर था. मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि मैदान पर जो दबाव होता है उसका बोले गए शब्दों से कोई लेना-देना नहीं होता. यह इस पर निर्भर करता है कि आप किसके खिलाफ खेल रहे हो’.


बता दें कि भारत और ऑस्ट्रेलिया को तीन वनडे और तीन टी20 मैचों की सीरीज खेलनी है. वनडे सीरीज की शुरुआत सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर होने वाले पहले मैच से रही है. इसके बाद दोनों टीमों चार मैचों की टेस्ट सीरीज में भिड़ेंगी.