नई दिल्ली: वैसे तो क्रिकेट इतिहास में टीम इंडिया के लिए कई यादगार मैच हैं, लेकिन 31 अक्टूबर 1987 का दिन भी कुछ कम नहीं है. इसी दिन टीम इंडिया में दो यादगार इतिहास रचे गए थे. 1987 का रिलायंस विश्व कप का भारत और न्यूजीलैंड के बीच का मैच इतिहास में खास जगह बना गया था. इस मैच में चेतन शर्मा (Chetan Sharma) ने ऐसा इतिहास रचा जिसके लिए वे आज भी जाने जाते हैं. वहीं सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने अपना वह सपना पूरा किया जो वे अपने 16 साल के करियर में कभी पूरा न कर सके थे. 


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सेमीफाइनल में जाने के बाद भी जीत चाहिए थी
इस विश्व कप के ग्रुप ए में टीम इंडिया का वह आखिरी मैच था. टीम इंडिया पहले ही सेमीफाइनल में जगह बना चुकी थी. अब केवल यह फैसला होना था कि उसे सेमीफाइनल पाकिस्तान के खिलाफ खेलना है या फिर इंग्लैंड के खिलाफ. टीम इंडिया कपिल देव की कप्तानी में अब तक केवल एक मैच ही हारी थी और टीम जीत के साथ ही सेमीफाइनल मैच खेलने के लिए मैदान में उतरना चाहती थी. वहीं न्यूजीलैंड भारत से अपने पिछले मैच में हार का बदला लेना चाहती थी. 


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चेतन शर्मा की वह हैट्रिक
पहले न्यूजीलैंड ने बल्लेबाजी करने का फैसला किया. उसके बल्लेबाज लंबी पारी खेलने में नाकाम रहे थे और 181 रन पर पांच विकेट गिर चुके थे. यहां केन रदरफोर्ड के जिम्मे टीम का स्कोर बढ़ाने की जिम्मेदारी थी, लेकिन चेतन शर्मा ने न्यूजीलैंड को संभलने का मौका न देते हुए पहले रदरफोर्ड को बोल्ड किया और उसकी अगली दो गेंदों पर इयान स्मिथ और चैटफील्ड को बोल्ड कर विश्व कप में वह इतिहास रच दिया जो अब तक किसी ने न किया था.


यह खास रिकॉर्ड आज भी है चेतन के नाम
चेतन विश्व कप इतिहास में हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज बने. यही नहीं वे इकलौते ऐेसे गेंदबाज आज भी हैं जिन्होंने हैट्रिक के तीनों विकेट बोल्ड किये हैं. चेतन शर्मा का यह रिकॉर्ड अब हर बार तब याद किया जाता है जब भी कोई गेंदबाज विश्व कप में हैट्रिक लेता है. इस साल इंग्लैंड में हुए विश्व कप में सबसे पहले भारत के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने अफगानिस्तान के खिलाफ हैट्रिक ली थी. उस समय भी चेतन को खूब याद किया गया था. 


लेकिन टीम की जरूरत तो कुछ और ही थी
चेतन की हैट्रिक से ज्यादा महत्वपूर्ण टीम इंडिया की बल्लेबाजी थी. न्यूजीलैंड ने जीत के लिए 222 का लक्ष्य दिया. अपने ग्रुप में टॉप पर रहने के लिए टीम इंडिया को यह लक्ष्य 42.2 ओवरों में हासिल करना था. जिससे वह अपने ग्रुप में टॉप पर आ जाती और उसे सेमीफाइनल मुंबई में ही खेलने को मिल सकता था नहीं तो उसे सेमीफाइनल मैच खेलने पाकिस्तान के लाहौर में खेलना पड़ता. 


गावस्कर का वह ख्वाब
टीम इंडिया ने 222 का लक्ष्य केवल 32.1 ओवर में हासिल कर लिया इसमें क्रिस श्रीकांत की 58 गेंदों में 75 रन की तूफानी पारी के अलावा सुनील गावस्कर की शानदार पारी का भी योगदान रहा. गावस्कर ने टीम को यह खास जीत तो दिलाई ही, लेकिन इसके साथ उन्होंने अपना वह ख्वाब भी पूरा कर लिया जो वे अपने 16 साल के करियर में अब तक पूरा नहीं कर सके थे. गावस्कर ने इस मैच में अपने वनडे करियर का इकलौता शतक लगाया वह भी केवल 85 गेदों में.



फायदा नहीं मिल सका टीम इंडिया को
इसके बाद टीम इंडिया को सेमीफाइनल में इंग्लैंड के हाथों हार का सामना पड़ा था और फिर उसके नाम विश्व कप होने में 24 साल और लग गए. लेकिन  न्यूजीलैंड के खिलाफ यह मैच आज भी याद किया