`दूसरा जन्म मिला...`, विराट कोहली ने बदल दी रोहित शर्मा की तकदीर, भारतीय कप्तान ने सुनाई कहानी
Virat Kohli Ravi Shastri Rohit Sharma: भारत के कप्तान रोहित शर्मा के लिमिटेड ओवर्स (वनडे और टी20) का सबसे खूंखार बल्लेबाज माना जाता है. वह लंबी-लंबी पारियां खेलने के लिए मशहूर हैं. हालांकि, रोहित शुरुआती समय में ऐसी उपलब्धि टेस्ट मैचों में हासिल नहीं कर पाए थे.
Virat Kohli Ravi Shastri Rohit Sharma: भारत के कप्तान रोहित शर्मा के लिमिटेड ओवर्स (वनडे और टी20) का सबसे खूंखार बल्लेबाज माना जाता है. वह लंबी-लंबी पारियां खेलने के लिए मशहूर हैं. हालांकि, रोहित शुरुआती समय में ऐसी उपलब्धि टेस्ट मैचों में हासिल नहीं कर पाए थे. अब वह इस फॉर्मेट में भी कमाल कर रहे हैं. रोहित टेस्ट में अपने पुर्नजन्म का श्रेय पूर्व कप्तान विराट कोहली और पूर्व कोच रवि शास्त्री को देते हैं.
2019 में मिला था ओपनिंग का मौका
रोहित शर्मा ने हाल ही में बताया कि कैसे कोहली और शास्त्री ने उनके रेड-बॉल करियर को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने बताया कि कैसे तत्कालीन टेस्ट कप्तान कोहली और पूर्व मुख्य कोच शास्त्री ने उन्हें सबसे लंबे प्रारूप में एक अभ्यास खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया, जहां वह पहली ही गेंद पर आउट हो गए. इस शुरुआती झटके के बावजूद रोहित ने वनडे-टी20 की तरह ही टेस्ट में खेलने का फैसला किया. रोहित को पहली बार अक्टूबर 2019 में ओपनिंग करने का मौका मिला. उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ 176 रनों की शानदार पारी खेली थी.
रोहित ने किया बड़ा खुलासा
रोहित ने जतिन सप्रू के यूट्यूब चैनल पर कोहली और शास्त्री के बारे में कहा, ''मैं रवि शास्त्री और विराट कोहली का बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मुझे बल्लेबाजी क्रम में ऊपर लाने का मौका दिया. टेस्ट में मुझे ऊपरी क्रम में लाना कोई आसान निर्णय नहीं था. उन्होंने मुझ पर भरोसा किया. उन्होंने मुझे एक अभ्यास मैच खेलने के लिए कहा था. मैंने ऐसा ही किया था. मैं पहली ही गेंद पर आउट हो गया, लेकिन मुझे पता चला कि मेरे पास कोई और विकल्प नहीं था. यह टेस्ट क्रिकेट में दूसरे जन्म जैसा महसूस हुआ. मुझे पता था कि मुझे इस अवसर को भुनाना होगा, चाहे इसका मतलब ओपनिंग करना हो, नंबर 5 या 6 पर बल्लेबाजी करना हो, या यहां तक कि क्रम में नीचे आना हो.''
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2018 तक खराब था प्रदर्शन
रोहित ने 2013 में अपना टेस्ट डेब्यू किया लेकिन टीम में अपनी जगह पक्की करने के लिए संघर्ष किया. उन्होंने 2018 तक केवल 27 टेस्ट खेले. इस दौरान 3 शतक और 10 अर्धशतक की मदद से 1585 रन बनाए थे. वह टेस्ट टीम में नियमित हो पाए. वापसी करने के लिए रोहित ने चुनौती स्वीकार की और खुलकर बल्लेबाजी करना चाहते थे. उनका यही नजरिया बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे टेस्ट के दौरान दिखा जब उन्होंने भारत की पहली पारी में पहले दो गेंदों पर लगातार दो छक्के लगाए. भारत ने इस टेस्ट को 7 विकेट से अपने नाम किया.
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विराट-शास्त्री ने रोहित को दी आजादी
रोहित ने आगे बताया, ''उनके प्रति मेरा जवाब स्पष्ट था. मैं अपना स्वाभाविक खेल खेलूंगा और विकेट पर टिक रहने की कोशिश का दबाव नहीं लूंगा. मैं आजादी से खेलने जा रहा हूं. अगर गेंद वहां है, चाहे वह टेस्ट की पहली गेंद हो या नहीं, मैं उसे मारूंगा. उन्होंने मुझे जो करना चाहता था वह करने की आजादी दी.''
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शास्त्री पहले ही कराना चाहते थे ओपनिंग
रोहित ने आगे खुलासा किया कि रवि शास्त्री 2015 से ही उनके टेस्ट में ओपनिंग करने के इच्छुक थे, जब वह टीम इंडिया के डायरेक्टर थे. उन्होंने कहा, ''रवि भाई लंबे समय से मेरे टेस्ट में ओपनिंग करने के लिए बहुत उत्सुक थे. उन्होंने मुझे 2015 में बताया कि मुझे इसे एक विकल्प के रूप में विचार करना चाहिए. वह चाहते थे कि मैं ओपन करूं, लेकिन मेरे हाथ में निर्णय नहीं था.'' ओपनर की भूमिका निभाने के बाद से रोहित ने 34 टेस्ट में 2594 रन बनाए हैं. उन्होंने 9 शतक और 7 अर्धशतक लगाए हैं. इस कदम ने न केवल भारत के शीर्ष क्रम को स्थिर किया, बल्कि रोहित को एक शानदार टेस्ट ओपनर में भी बदल दिया.