R praggnanandhaa Success Story: भारत जमीन ही नहीं, चांद पर भी सफलता की नई इबारत लिख रहा है. भारत के चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचा. उसी दिन जमीन पर एक तरफ भारतीय क्रिकेट टीम आयरलैंड में टी20 सीरीज खेल रही थी, तो शतरंज में 18 साल के रमेशबाबू प्रज्ञानानंदा वर्ल्ड के नंबर-1 मैग्नस कार्लसन का सामना कर रहे थे. क्रिकेट मैच तो बारिश ने धो दिया लेकिन सीरीज भारतीय टीम के नाम रही. शतरंज में जरूर प्रज्ञानानंदा को हार मिली लेकिन उन्होंने भी सफलता की नई इबारत लिख डाली.


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खिताब जीते बिना ही रचा इतिहास


भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा ने फिडे विश्व कप फाइनल (FIDE World Cup Final) में दुनिया के नंबर-1 मैग्नस कार्लसन का सामना किया. शुरुआती दोनों बाजी ड्रॉ रहीं और अंत में कार्लसन ने टाईब्रेकर में जीत दर्ज की. हार के बावजूद प्रज्ञान ने इतिहास रचा. वह फिडे वर्ल्ड कप फाइनल खेलने वाले विश्वनाथन आनंद के बाद दूसरे और सबसे युवा भारतीय खिलाड़ी बन गए. इसी के साथ उन्होंने भारतीय शतरंज के इतिहास का सुनहरा अध्याय लिख डाला. 


ऐसा रहा फाइनल तक का सफर


चेन्नई के रहने वाले प्रज्ञानानंदा को फाइनल में नॉर्वे के मैग्नल कार्लसन ने टाईब्रेकर में हराया. इस टूर्नामेंट में उनका सफर कुछ इस तरह रहा.


- पहले राउंड में बाई
- दूसरे राउंड में फ्रांस के ग्रैंडमास्टर मैक्सिम लागार्डे को 1.5 -0.5 से हराया
- तीसरे दौर में चेक गणराज्य के ग्रैंडमास्टर डेविड नवारा को 1.5-0.5 से हराया
- चौथे राउंड में दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी अमेरिका के हिकारू नकामूरा को 3-1 से मात दी
-पांचवें राउंड में हंगरी के फेरेंग बेरकेस को 1.5-0.5 से शिकस्त
-छठे राउंड में हमवतन अर्जुन एरिगेसी को 5-4 से हराया
-इटली-अमेरिका के ग्रैंडमास्टर और दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फेबियानो कारूआना को सेमीफाइनल में 3.5-2.5 से हराया
-वर्ल्ड फाइनल में पहुंचने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने
-फाइनल का पहला मुकाबला 35 चालों के बाद ड्रॉ रहा
-दूसरी बाजी 30 चालों के बाद ड्रॉ
-मैग्नस कार्लसन ने टाईब्रेक में प्रज्ञानानंदा को हराया और भारतीय प्लेयर खिताब से चूक गया.