नई दिल्ली: हाल ही में  इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में खिलाड़ियों की नीलामी को चुनौती देते हुए इसे रोकने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi High Court) में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. क्रिकेट में स्पॉट फिंक्सिंग और आईपीएल में मैच फिक्सिंग के तमाम विवादों के बीच इस तरह की याचिका का दाखिल होना कोई पहली बार नहीं हैं. इस याचिका में कहा गया था कि आईपीएल में खिलाड़ियों की नीलामी  होने की प्रक्रिया मानवाधिकार का हनन है. इस सुनवाई पर कोर्ट ने अनोखे अंदाज में फैसला दिया है. 


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झेलनी पड़ी नाराजगी
दिल्ली हाई कोर्ट ने IPL में खिलाड़ियों की नीलामी को चुनौती देने वाली इस याचिका को ख़ारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता को इसके साथ ही कोर्ट की नाजाजगी भी झेलनी पड़ी.  कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 25 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगा दिया. इतना ही नहीं  याचिकाकर्ता के वकील की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने कहा,''ये पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन नहीं बल्कि पब्लिसिटी इंटरेस्ट टिगेशन है''. इस तरह की टप्पणी आम तौर पर कोर्ट, वह भी हाई कोर्ट जैसी संस्था नहीं करती है. 


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क्या पूछा कोर्ट ने
कोर्ट ने दलील के बाद पूछा कि ये खिलाड़ियों की खरीद फरोख्त कैसे है? क्या इससे मानव तस्करी होती है? दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए याचिकाकर्ता पर 25 हजार का जुर्माना लगा दिया और कहा कि ये राशि बच्चों के कल्याण के लिए खर्च की जाए. याचिका BCCI और IPL के खिलाफ लगाई गई थी. याचिकाकर्ता के मुताबिक आईपीएल में खिलाड़ियों की ख़रीद फरोख़्त की प्रक्रिया अवैध है जिसे रोके जोने की मांग याचिका के ज़रिए की गई थी. याचिका सामाजिक कार्यायकर्ता सुधीर शर्मा ने दायर की थी . 


क्या कहा गया था याचिका में
याचिका में कहा गया था कि 12 सालों से खेल औऱ मनोरंजन के नाम पर सम्बंन्धित संस्थाएं जो करती आई हैं, वो कानून के खिलाफ है. याचिकाकर्ता के मुताबिक भारतीय संविधान किसी भी जीवित व्यक्ति की नीलामी या ख़रीद फरोख़्त की इजाज़त नहीं देता. जिसपर याचिकाकर्ता ने जांच और कार्रवाई की मांग की थी . 


2013 में दायर की गई थी ऐसी याचिका
 ऐसी ही एक याचिका पहले भी दायर की जा चुकी है. इसमें आईपीएल में खिलाड़ियों की नीलामी को मानवअधिकारों का उल्लंघन बताया गया था.  उस समय़ भी  यह जनहित याचिका खारिज कर  गई थी, लेकिन  इस बार याचिका को स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई 26 जुलाई को होगी. अब याचिका कर्ता को इस याचिका पर फटकार सुननी पड़ी.