Cricket New Rules: इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने क्रिकेट के नियमों में बड़ा बदलाव किया है. खासतौर पर फ्री हिट के नियमों में ऐतिहासिक बदलाव हुआ है, जिससे बल्लेबाजों की चांदी हो गई है. फ्री हिट के नए नियम के मुताबिक अगर फ्री हिट पर गेंद स्टंप पर लगती है और बल्लेबाज रन लेता है तो वह रन बल्लेबाज के खाते में गिने जाएंगे. अब फ्री हिट के रनों को अतिरिक्त रन के खाते में नहीं जोड़ा जाएगा. 


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फ्री हिट के नियम में हुआ ऐतिहासिक बदलाव


अब यदि फ्री हिट पर गेंद स्टंप्स पर लगती है और बल्लेबाज उस पर रन बना लेते हैं तो उसे स्कोर में जोड़ा जाएगा. इसका मतलब हुआ कि बल्लेबाज फ्री हिट पर बोल्ड होने के बावजूद रन बना सकता है. बता दें कि 2022 टी20 वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के मैच में जब 20वें ओवर में फ्री हिट पर गेंद स्टंप पर लग गई तो दिनेश कार्तिक और विराट कोहली ने दौड़कर तीन रन ले लिए थे, लेकिन वो रन बाई में जुड़े थे. हालांकि अब नियम बदल चुका है. अब सारे रन बल्लेबाज के खाते में जुड़ जाएंगे.


अब बल्लेबाजों की होगी चांदी


दूसरी बड़ी घोषणा जोखिम वाली परिस्थितियों में हेलमेट पहनना अनिवार्य करना है. जब बल्लेबाज तेज गेंदबाजों का सामना कर रहा हो, विकेटकीपर स्टंप के पास खड़ा हो और जब फील्डर बल्लेबाज के करीब खड़ा हो तो इन परिस्थितियों में हेलमेट पहनना अनिवार्य होगा.  यह सभी नियम एक जून 2023 से इंग्लैंड और आयरलैंड के बीच लॉर्ड्स में होने वाले एकमात्र टेस्ट मैच से लागू होंगे. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सात जून से शुरू होने वाला वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल नए नियमों के तहत ही खेला जाएगा.


विवादास्पद ‘सॉफ्ट सिग्नल’ नियम खत्म


इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने मैदानी अंपायरों द्वारा दिए जाने वाले विवादास्पद ‘सॉफ्ट सिग्नल’ नियम को खत्म करने का फैसला किया है, जिसकी विशेषज्ञ अक्सर आलोचना किया करते थे क्योंकि फैसला तीसरे अंपायर के पास जाने पर यह टीवी अंपायर के लिए भ्रम की स्थिति पैदा करता था.


अनुमान खुली आंखों से नहीं लगाया जा सकता


‘सॉफ्ट सिग्नल’ का उपयोग जमीन से कुछ इंच ऊपर लिए गए कैच की वैधता को निर्धारित करने के लिए किया जाता रहा है क्योंकि इस तरह के कैच का सही अनुमान खुली आंखों से नहीं लगाया जा सकता. अभी तक मैदानी अंपायर अपने अनुमान के आधार पर ‘आउट’ या ‘नॉट आउट’ का संकेत देते थे जिसे ‘सॉफ्ट सिग्नल’ कहा जाता है. अधिकतर मामलों में टीवी फुटेज से कैच का सही अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता था और ऐसे में तीसरा अंपायर ‘सॉफ्ट सिग्नल’ के आधार पर अपना फैसला देता है.