नई दिल्लीः आईसीसी महिला क्रिकेट वर्ल्डकप 2017 के फाइनल में इंग्लैंड के हाथों मिली हार से जहां एक भारतीय क्रिकेट फैन्स थोड़े निराश हुए तो वहीं महिला क्रिकेटरों के बेहतरीन प्रदर्शन की तारीफ भी हर किसी ने की. पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय टीम फाइनल में जीत के बेहद करीब पहुंचने के बाद भी 9 रन से खिताब से दूर रह गई. गौर करने वाली बात है कि इस हार के बावजूद टीम की कप्तान मिताली राज ने इस विश्व कप के साथ ही एक इतिहास रच दिया.


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वर्ल्ड कप के फाइनल में कप्तानी करने का गौरव सबसे पहले ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर कपिल देव को मिला था. 1983 में उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज को लो-स्कोरिंग मैच में शिकस्त दी थी. 20 साल बाद सौरव गांगुली के नेतृत्व में टीम इंडिया फाइनल में पहुंची थी. अफ्रीका में खेले गए 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल में गांगुली की टीम बुरी तरह से हार गई थी. इसके बाद 2011 में भारत में खेले गए वर्ल्डकप में महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में टीम इंडिया फाइनल में पहुंची और 28 साल के बाद वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया.


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आपको जानकर हैरानी होगी कि 2017 महिला क्रिकेट वर्ल्डकप में मिताली राज ने ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो कपिल, गांगुली और धोनी पर भी भारी पड़ गया. दरअसल, मिताली एकमात्र भारतीय क्रिकेटर हैं, जिन्होंने दो बार वर्ल्ड कप फाइनल (50-50 ओवर) में टीम का नेतृत्व किया है. जी हां दक्षिण अफ्रीका में 2005 में खेले गए महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में भी मिताली राज के नेतृत्व में भारतीय टीम फाइनल में पहुंची थी, जहां उसे ऑस्ट्रेलिया के हाथों 98 रनों से हार का सामना करना पड़ा. इस साल ये दूसरा मौका था, जब उन्होंने वर्ल्ड कप फाइनल में भारतीय टीम का नेतृत्व किया था.


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