नयी दिल्ली: पी वी सिंधू ने इस साल ओलंपिक रजत पदक जीतकर खुद को शीर्ष खिलाड़ियों की जमात में शामिल कर लिया जबकि साइना नेहवाल चोटों से जूझती रही। बीते साल भारतीय बैडमिंटन ने अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर अपनी मौजूदगी पूरी शिद्दत से दर्ज कराई।


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सिंधू के लिये यह साल यादगार रहा जिसने रियो ओलंपिक में रजत पदक जीता। भारत के मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद के लिये भी यह एक रिकॉर्ड रहा जो दो ओलंपिक पदक विजेताओं को तैयार करने वाले अकेले भारतीय कोच बन गए। दूसरी ओर साल के पहले हिस्से में साइना चोटों से जूझती रही हालांकि वह रियो में भारत की पदक उम्मीद मानी जा रही थी।


विश्व चैम्पियनशिप में दो कांस्य पदक जीत चुकी सिंधू को स्वर्ण पदक का प्रबल दावेदार नहीं माना जा रहा था क्योंकि ओलंपिक से पहले हुए टूर्नामेंटों में वह जल्दी बाहर हो गई थी। ओलंपिक में साइना जहां शुरुआती चरण में ही बाहर हो गई तो सिंधू रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनी। इस जीत से उसने भारतीय बैडमिंटन में साइना की छाया से निकलकर अपनी अलग पहचान बनाई। इसके कुछ समय बाद साइना ने मुंबई में घुटने का ऑपरेशन कराया और लंबा समय रिहैबिलिटेशन में बिताया।