सर्दी बढ़ने के साथ टंकी का पानी काफी ठंडा हो जाता है, जिससे नहाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में गीजर का इस्तेमाल जरूरी हो जाता है. हालांकि, बिजली की बढ़ती कीमतों के कारण लोग गीजर का टेंपरेचर कम कर देते हैं. उन्हें लगता है कि इससे बिजली की बचत होगी. लेकिन, यह सच नहीं है. बिजली बचाने के चक्कर में गीजर का पानी आपको संकट में डाल सकता है. 


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होती हैं कई बीमारियां


सर्दियों के मौसम में गीजर का पानी अक्सर ठंडा हो जाता है. ऐसे में लोग बिजली बचाने के लिए गीजर का तापमान कम कर देते हैं. लेकिन, यह खतरनाक हो सकता है. गीजर का पानी गर्म होने के कारण बैक्टीरिया और वायरस का खतरा बढ़ जाता है. इन बैक्टीरिया और वायरस से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.


गीजर के पानी में एक विशेष प्रकार का बैक्टीरिया होता है, जिसे लेगियोनेला कहा जाता है. यह बैक्टीरिया सर्दी के मौसम में गीजर के पानी में पनपने लगता है. अगर गीजर का पानी 50 डिग्री सेल्सियस से कम हो तो यह बैक्टीरिया तेजी से बढ़ता है.


सेफ किड्स कनाडा अभियान


2000 के दशक की शुरुआत में कनाडा में लेगियोनेला के मामलों में वृद्धि हुई. इस बीमारी से कई लोगों की मौत भी हो गई. इस समस्या को देखते हुए, कनाडा सरकार ने ‘सेफ किड्स कनाडा अभियान’ शुरू किया. इस अभियान का मकसद लोगों को घरों में इस्तेमाल पानी का तापमान कम न करने के प्रति जागरूक करना था. अभियान के अनुसार, घरों में गीजर वाटर का तापमान 49 से 60 डिग्री के बीच होना चाहिए. इससे लेगियोनेला बैक्टीरिया पनपने से रोका जा सकता है.


कितनी डिग्री है बेस्ट


गीजर का तापमान एक महत्वपूर्ण सवाल है. सर्दियों में गीजर का तापमान 60 से 65 डिग्री पर रखना चाहिए. इससे लेगियोनेला बैक्टीरिया पनपने से रोका जा सकता है. गर्मियों में गीजर का तापमान 50 से 55 डिग्री पर रख सकते हैं. लेकिन, 70-75 डिग्री से ज्यादा पर गीजर नहीं चलाना चाहिए. इससे गीजर के टैंक और पाइपों को नुकसान हो सकता है.