नई दिल्लीः फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्क ने कहा कि भारत ने जो डेटा को लेकर जो लोकल लेवल पर स्टोर करने की बात कही थी उनकी इस बात को हम अच्छे से समझते हैं, लेकिन यह एक बेहद रिस्की काम है. उन्होंने कहा कि यदि हमने सिर्फ भारत को ही इसकी परमीसन दी तो दूसरे देश भी इस की मांग कर सकते हैं. जकरबर्ग ने कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर तानाशाही देशों में भी देखने को मिल सकता है और वे भी लोकल लेवल पर डेटा के स्टोर करने की मांग कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे देशों में नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है और तानाशाही देश डेटा का दुरुपयोग कर सकते हैं.


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एक इतिहासकार और लेखक से बातचीत में मार्क ने कहा कि यह एक बेहद संवेदनशील मामला है और इसमें हम किसी तरह की लापरवाही नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि लोकल लेवल पर डेटा संग्रह करने का जो सोच और इरादा है वह जानना बहुत ही महत्वपूर्ण है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य के पीछे मंशा बहुत अधिक महत्व रखती है और हम में से कोई भी भारत को अधिनायकवादी देश नहीं मानता. 


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जब उनसे यह पूछा गया कि भारतीय नागरिकों का डेटा अमेरिका में सुरक्षित है और भारत में नहीं जबकी उनकी तरफ से यह हमेशा ही कहा गया है कि हमें सिर्फ अपने देश की और नागरिकों की चिंता है तो उन्होंने कहा कि डेटा लोकलाइजेशन पर हमारा रुख खतरे को लेकर है, क्योंकि अगर किसी बड़े देश में हमें ब्लॉक किया जाता है तो इससे हमारे कारोबार पर असर पड़ेगा और इसके साथ ही हमेशा खतरा भी बना रहेगा.


यह है डेटा लोकलाइजेशन का मामला


दरअसल RBI की नई गाइड लाइन के मुताबिक पेमेंट्स डेटा को भारत में ही स्टोर किया जाना आवश्यक होगा. इसके साथ ही देश में डिजिटल बिजनेस का पेमेंट करने वाली सभी कंपनियों को CERTIN के ऑडिटर्स से थर्ड पार्टी ऑडिट कराना भी जरूरू होगा. भारत की मांग को लेकर जकरबर्ग ने कहा कि भारत की मांग को मानने पर दूसरे देश भी ऐसी मांग कर सकते हैं जहां करोड़ों लोगों के अकाउंट को मिसयूज किया जा सकता है. उनका कहना है कि दुनिया की कई सरकारें बहुत ही आसानी से लोगों के डेटा को एक्सेस कर सकती हैं.