Raksha Bandhan 2023: कारगिल युद्ध में शहीद हुए भाई की मूर्ति को हर साल राखी बांधती है ये बहन
2023 Raksha Bandhan: शहीद की बहन जिसके लिए आज भी उसका शहीद हुए भाई जिंदा है. जहां हर साल बहन अपने भाई के स्मारक पर आती है और उन्हें रक्षा सूत्र बांधती है. सीकर के रामपुरा गांव के शहीद सैनिक विनोद कुमार नागा की बहन सुशीला ने बताया कि वह हर साल रक्षाबंधन के दिन अपने भाई को राखी बांधती थी.
Raksha Bandhan: भाई-बहन के प्यार का प्रतीक माने जाने वाला रक्षाबंधन पर्व हर साल पूरे देश में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. जहां बहनें अपने भाइयों को रंग-बिरंगी राखियां बांधती हैं और बदले में उनके भाई उन्हें कई प्रकार के गिफ्ट भेंट करते हैं. वहीं देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले शहीद सैनिकों की कुछ बहनें ऐसी हैं जो आज भी अपने भाइयों को जिंदा मानती हैं और उन्हें इस पर्व पर राखी बांधती हैं. ऐसी ही एक कहानी है सीकर जिले के रामपुरा गांव के सैनिक विनोद कुमार नागा की, जो 1999 में कारगिल युद्ध में लड़ते हुए शहीद हो गए थे.
शहीद भाई को हर साल रक्षा सूत्र बांधती है बहन
शहीद की बहन जिसके लिए आज भी उसका शहीद हुए भाई जिंदा है. जहां हर साल बहन अपने भाई के स्मारक पर आती है और उन्हें रक्षा सूत्र बांधती है. सीकर के रामपुरा गांव के शहीद सैनिक विनोद कुमार नागा की बहन सुशीला ने बताया कि वह हर साल रक्षाबंधन के दिन अपने भाई को राखी बांधती थी. कारगिल युद्ध में भाई जब शहीद हो गया तो उसके बाद भी वह अपने भाई को जिंदा मानती है और उसकी मूर्ति पर आकर राखी बांधती है और गले मिलती है.
शहीद के परिवार के लोगों ने बताई ये बातें
शहीद विनोद कुमार लोग की छोटे भाई की बेटी आकांक्षा नागा ने बताया की मेरे बड़े पापा जो शहीद हो गए, उनकी मूर्ति को हम हर साल राखी बांधते हैं. जब मेरे बड़े पापा शहीद विनोद कुमार नागा जिंदा थे तब भी मेरी बुआ जी राखी बांधने के लिए आती थीं. 24 साल पहले कारगिल युद्ध में शहीद होने के बाद भी उनकी बहन राखी बांधने के लिए आती हैं और वह मूर्ति के राखी बांधती हैं और उसी तरह गले मिलती हैं. वह साथ में मिठाई वगैरह भी लेकर आती हैं.
शहीद विनोद कुमार नागा की पत्नी ने बताया कि यह मेरी ननद हैं, जब मेरे पति जिंदा थे तब भी राखी बांधने के लिए आती थीं और कारगिल में पति शहीद होने के बाद भी उनकी मूर्ति को राखी बांधने के लिए आती हैं और हम सभी को राखी बांधती हैं.
रिपोर्ट: अशोक सिंह शेखावत