काबुल: अफगानिस्तान में तालिबान (Afghanistan Taliban War) का कहर जारी है. यहां आतंकवादी भीषण नरसंहार कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के आतंकी अफगानिस्तान के जिन इलाकों पर कब्जा करने में कामयाब हो गए हैं, वहां के लोगों पर भयानक अत्यचार कर रहे हैं. इलाके में रहने वालों को उनकी 12 साल से ज्यादा उम्र की बेटियों को आतंकियों को सौंपने के लिए कह रह हैं. इस बीच अफगानिस्तान के चारकिंट (Charkint) जिले की गर्वनर सलीमा मजारी (Salima Mazari) ने तालिबानी आतंकियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.


आंतकियों से जंग के लिए सलीमा ने उठाई बंदूक


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द गार्जियन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, 40 साल की महिला गर्वनर सलीमा मजारी चारकिंट जिले के प्रशासनिक कामों को संभालने के साथ-साथ अफगानिस्तान की सेना के साथ तालिबानी आतंकियों का बहादुरी से मुकाबला भी करती हैं. सलीमा ने आतंकियों के खिलाफ बंदूक उठा ली है.


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सलीमा मजारी ने बताया कि कभी वो चारकिंट जिले के ऑफिस में होती हैं तो कभी वो हाथ में बंदूक लेकर तालिबान के आतंकियों का सामना कर रही होती हैं.



आतंकी नहीं होंगे कामयाब- सलीमा


उन्होंने आगे कहा कि अगर हम नहीं लड़ेंगे तो हम चरमपंथियों और कट्टरपंथियों के खिलाफ जंग में हार जाएंगे. हम उनको कामयाब होने नहीं दे सकते.


बता दें कि सलीमा मजारी का जन्म 1980 में ईरान में हुआ था. सोवियत युद्ध के दौरान उनका परिवार अफगानिस्तान से ईरान चला गया था. सलीमा मजारी ने तेहरान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है.


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सलीमा मजारी कैसे बनीं गर्वनर?


साल 2018 में सलीमा मजारी को पता चला कि अफगानिस्तान के चारकिंट जिले यानी उनके गृह जिले में गर्वनर का पद खाली है और उसके लिए आवेदन मांगे गए हैं. सलीमा गर्वनर के पद की उम्मीदवार बनीं और फिर उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर गर्वनर चुन लिया गया.


सलीमा ने कहा कि पहले तो उन्हें ऐसा लगा कि महिला गर्वनर होने की वजह से शायद लोग उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे. लेकिन चारकिंट जिले के लोगों ने अच्छा रिस्पॉन्स दिया और मुझे बहुत सपोर्ट किया.


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