वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव प्रतिनिधि सभा (House of Representatives) में पास हो गया है. इसके साथ ही ट्रंप पहले ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं, जिन पर दूसरी बार महाभियोग चलेगा. डेमोक्रेटिक पार्टी के नियंत्रण वाली प्रतिनिधि सभा में कुछ रिपब्लिकन सांसदों ने भी ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाने के पक्ष में वोट किया. ट्रंप पर देश के खिलाफ विद्रोह भड़काने का आरोप है. 


प्रस्ताव के पक्ष में पड़े 232 Votes
 


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CNN के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव निचले सदन में पूर्ण बहुमत से पास हो गया है. प्रस्ताव के पक्ष में 232 और विरोध में 197 वोट डाले गए. डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के 10 सांसदों ने भी उनके खिलाफ वोट किया है. ट्रंप अमेरिका के इतिहास में ऐसे पहले राष्ट्रपति बन गए हैं जिनके खिलाफ एक ही कार्यकाल में दो बार महाभियोग प्रस्ताव पारित हुआ है. इससे पहले अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने एक प्रस्ताव पारित करके उपराष्ट्रपति माइक पेंस से अपील की थी कि वह ट्रंप को पद से हटाने के लिए 25वां संशोधन लागू करें.


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‘जो हुआ, वह विरोध नहीं विद्रोह था'
 


बहस की शुरुआत करते हुए रूल्स कमेटी के चेयरमैन जिम मैक्गोवर्न ने कहा कि हम उसी जगह खड़े होकर ऐतिहासिक कार्यवाही पर बहस कर रहे हैं, जहां अपराध हुआ था. मैक्गोवर्न आगे ने कहा कि उस दिन यहां जो हुआ, वह कोई विरोध नहीं था. यह हमारे देश के खिलाफ संगठित विद्रोह था और उसे डोनाल्ड ट्रंप ने भड़काया था. वहीं, हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ने कहा कि हम जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप ने देश के खिलाफ विद्रोह के लिए लोगों को उकसाया. उन्हें इसके लिए पद से हटाना होगा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने नवंबर में हुए चुनाव के नतीजों के बारे में बार-बार झूठ बोला और लोकतंत्र पर शक किया. पेलोसी ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति को सीनेट की ओर से दोषी ठहराया जाना चाहिए.


अब आगे क्या होगा?
 


प्रतिनिधि सभा में प्रस्ताव पारित होने के बाद अब उसे 19 जनवरी को सीनेट पेश किया जाएगा. यदि यहां भी प्रस्ताव को बहुमत मिलता है, तो डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति पद से हटा दिया जाएगा. हालांकि, गौर करने वाली बात ये है कि ट्रंप का कार्यकाल 20 जनवरी को समाप्त हो रहा है. यानी अगर उन्हें हटाया भी जाता है, तो वह एक तरह से अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे. लेकिन बतौर राष्ट्रपति दो बार महाभियोग का सामना करने और जबरन पद से हटाने जैसी शर्मिंदगी हमेशा उनके साथ रहेगी. शायद इसलिए डोनाल्ड ट्रंप ने प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले समर्थकों से हिंसा नहीं करने की अपील की थी. वो चाहते थे कि सांसद उनके बदले रुख को देखते हुए कुछ नरमी दिखाएं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.


ये है परेशानी की वजह
प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेट बहुमत में हैं, लिहाजा प्रस्ताव साधारण बहुमत से पास होकर उच्च सदन यानी सीनेट में चला गया है. लेकिन सीनेट में रिपब्लिकन का बहुमत है और यहां प्रस्ताव पारित होने के लिए दो तिहाई मत जरूरी होते हैं. सीनेट में आंकड़े ट्रंप के पक्ष में हैं, मगर जिस तरह से उनकी पार्टी के सांसद उनके खिलाफ हो रहे हैं, उसे देखते हुए प्रस्ताव के पारित होने की संभावना बढ़ गई है. बता दें कि 2019 में ट्रंप के खिलाफ पहले महाभियोग में एक भी रिपब्लिकन ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट नहीं दिया था.


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