Bangladesh News: बांग्लादेश में पिछले डेढ़ महीने से जारी हिंसा और कट्टरपंथी हमलों के खिलाफ हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों ने एकजुट होकर मोर्चा खोल दिया है. इन हिंसक घटनाओं का मुख्य निशाना हिंदू समुदाय बन रहा है. जिसके चलते अब उन्होंने कट्टरपंथियों के खिलाफ खुलकर आवाज उठानी शुरू कर दी है. हिन्दुओं की रक्षा का बीड़ा अब संतों ने संभाल लिया है. आइये जानते हैं बांग्लादेश में संतों ने हिन्दुओं से क्या कहा है.


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हिंदुओं से जनसंख्या बढ़ाने की अपील


हाल ही में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक धर्मगुरुओं और समुदाय के नेताओं ने एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया. इस कार्यक्रम में हिंदुओं से अपनी जनसंख्या बढ़ाने की अपील की गई. इसके बाद कट्टरपंथियों ने धर्मगुरुओं को जान से मारने की धमकियां देना शुरू कर दिया.


इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज बुलंद


इस कार्यक्रम में हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी एकजुट होकर इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. इन कट्टरपंथियों ने पहले हिंदू मंदिरों, घरों और बस्तियों को निशाना बनाया था. और अब धार्मिक गुरुओं को धमकियां दे रहे हैं.


हिन्दुओं से संतान पैदा करने की अपील


धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु ने इस आंदोलन में भाग लिया और हिंदुओं से अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संतान पैदा करने की अपील की. उन्होंने कहा कि यह न केवल अपने पूर्वजों का सम्मान है बल्कि अपनी पहचान बनाए रखने का एक तरीका भी है.


हिन्दुओं पर हो रही हिंसा की निंदा


इस स्थिति पर कनाडा के सांसद चंद्र आर्या ने भी चिंता जताई. उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं, पर हो रही हिंसा की निंदा की और 1971 से धार्मिक अल्पसंख्यकों की घटती जनसंख्या पर भी प्रकाश डाला.


सरकार और प्रशासन कट्टरपंथियों के इशारे पर काम कर रहे


हालांकि बांग्लादेश में हिंदुओं की एकजुटता और प्रदर्शन लगातार जारी है. सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है. प्रदर्शनकारी यह आरोप लगा रहे हैं कि सरकार और प्रशासन कट्टरपंथियों के इशारे पर काम कर रहे हैं और खुलकर नफरती विचारधारा का प्रचार किया जा रहा है.


बांग्लादेश की स्थिति गंभीर


इस समय बांग्लादेश की स्थिति गंभीर है और यदि स्थिति नहीं सुधरी तो आने वाले समय में यहां की जनता को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. कट्टरपंथ की बढ़ती लहर बांग्लादेश को पाकिस्तान की राह पर ले जा सकती है, जहां धार्मिक और साम्प्रदायिक हिंसा एक सामान्य बात बन गई है.