AstraZeneca वैक्सीन लेने के बाद Radio Presenter की मौत? परिवार ने लगाए आरोप
एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन का डोज लेने के बाद बीबीसी की एक रेडियो प्रेजेंटर की मौत हो गई है. वैक्सीन लगने के बाद लिसा शॉ को ब्लड क्लॉटिंग और ब्रेन में ब्लीडिंग की समस्या हो गई थी.
न्यूकैसल: BBC की एक पत्रकार लिसा शॉ (Lisa Shaw) का 44 साल की उम्र में निधन हो गया है. वह रेडिया प्रेजेंटर थीं. पुरस्कार विजेता लिसा के परिजनों का कहना है एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) वैक्सीन लेने के बाद खून के थक्के (blood clots) जमने से उनकी मृत्यू हुई है. वैक्सीन लेने के एक हफ्ते बाद सिर में असहनीय दर्द होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. खून के थक्के बनने के कारण उनकी स्थिति बिगड़ती ही गई और फिर उनका निधन हो गया.
सहकर्मियों और श्रोताओं ने दी श्रद्धांजलि
बीते शुक्रवार को लिसा की मौत की सूचना सामने आने के साथ ही उनके कई सहकर्मियों और श्रोताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. यूके मिरर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बीबीसी ने एक बयान जारी करके परिवार के हवाले से कहा है, 'एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लेने के एक सप्ताह बाद लिसा को गंभीर सिरदर्द हुआ और कुछ दिनों बाद वह गंभीर रूप से बीमार पड़ गई. उसका Royal Victoria Infirmary के आईसीयू में ब्लड क्लॉट और मस्तिष्क में हुई ब्लीडिंग का इलाज किया गया. शुक्रवार की दोपहर को उनका निधन हो गया. हमारे जीवन में लिसा की जगह कभी नहीं भर पाएगी. हम हमेशा उसे हमेशा प्यार करेंगे और याद करेंगे.' बीबीसी रेडियो न्यूकैसल के कार्यकारी संपादक रिक मार्टिन ने कहा, 'वह एक भरोसेमंद सहयोगी, एक शानदार प्रस्तुतकर्ता, एक अद्भुत दोस्त, एक प्यारी पत्नी और मां थीं.'
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ब्रिटेन ने दिया एस्ट्राजेनेका का विकल्प
एस्ट्राजेनेका टीका लेने वाले कुछ लोगों में खून के थक्के जमने के मामले सामने आने के बाद ब्रिटेन में 40 साल से कम उम्र के लोगों को एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के विकल्प भी दिए जा रहे हैं. हालांकि मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) ने कहा था कि ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के कारण थक्के जमने की बात साबित तो नहीं हुई है लेकिन इन दोनों के बीच लिंक जरूर मजबूत हो रही है.
माना जा रहा है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन डोज के 40 की उम्र के आसपास वाले 1 लाख लोगों में से एक व्यक्ति में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या हो सकती है. वहीं ब्लड क्लॉट के कारण मरने का खतरा 10 लाख लोगों में से एक होता है.