Egypt Economic Crisis: जिन अपनों ने दिया धोखा, उन्हीं के आगे बेबस हुआ इजिप्ट; बेचेगा अपनी ये कीमती चीज
Cash strapped Egypt: पाकिस्तान (Egypt) के बाद अब एक और मुस्लिम देश बहुत बुरे आर्थिक संकट में घिर गया है. इस्लामाबाद से हजारों किलोमीटर दूर मिस्र (Egypt) की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव है. इसलिए अब ये मुल्क खाड़ी देशों को अपनी बेशकीमती राष्ट्रीय संपत्ति बेचने की योजना बना रहा है.
Egypt President El-Sissi's economic makeover: पाकिस्तान के बाद अब इजिप्ट का आर्थिक संकट (Egypt Economic Crisis) वैश्विक अर्थव्यवस्था के जानकारों की चिंता का विषय बन गया है. इजिप्ट सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश का कर्ज एक दशक में तीन गुना बढ़कर 155 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. ऐसे में राष्ट्रपति अल सीसी (El-Sissi) की इकॉनमी को संभालने की कोशिश कामयाब नहीं हो पा रही हैं. संकट की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि आईएमएफ (IMF) की तरफ से 3 अरब डॉलर की मदद के बावजूद हालात जस की तस बने हुए हैं. विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक मिस्र के पौंड की कीमत में गिरावट आई है. वहीं बढ़ती महंगाई से लोग परेशान हैं.
मुस्लिम देशों ने किया इजिप्ट से किनारा
राष्ट्रपति अल सीसी ने कुछ दिन पहले कहा था कि मिस्र को हर साल खरबों डॉलर वाला बजट चाहिए और जबकि उनके पास देश चलाने के लिए इसकी आधी रकम भी नहीं है. इसके साथ उन्होंने मुस्लिम भाइचारे वाले देशों UAE, सऊदी अरब (Saudi Arabia) और कुवैत से भी मदद मांगी लेकिन सभी ने मिस्र को बिना शर्त मदद देने से इनकार कर दिया है.
इस दौरान सऊदी अरब के वित्त मंत्री मोहम्मद अल जादन ने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा कि पहले हम कमजोर देशों को बिना शर्त लोन दिया करते थे, लेकिन अब पॉलिसी में बदलाव हुआ है. यानी जिन मुस्लिम देशों से मिस्र को मदद की उम्मीद थी उन्होंने उसे झटका दे दिया है.
मिस्र बेचने जा रहा अपनी ये कीमती चीज
'डी डब्ल्यू डॉट कॉम' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक संकट पर काबू पाने के लिए मिस्र ने अपनी राष्ट्रीय संपत्ति को बेचने की योजना बनाई है. बताया जा रहा है कि कुछ मुस्लिम देशों ने उसकी प्रॉपर्टी खरीदने में दिलचस्पी भी दिखाई है. वहीं कुछ जानकारों का ये कहना है कि जहां सुधार की गुंजाइश कम हो वहां भला कोई कितने दिन किसी की मदद कर सकता है. यही वजह है कि मिस्र के अपनी संपत्तियों के बेचने के प्रस्ताव के बावजूद उसके करीबी देश आर्थिक सुधारों का हवाला देते हुए अपने मूलधन की सिक्योरिटी की गारंटी चाह रहे हैं.
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