Israel Hamas War Latest News: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के बीच बुधवार को जब बात हुई तो दोनों के तेवर तल्ख थे. जो बाइडेन ने कहा था कि हमास ने अमेरिकियों को मारा है, आईएसआईएस से भी खतरनाक है हमास. वहीं नेतन्याहू ने कहा था कि सात अक्टूबर इजरायल के लिए काला दिन है और हम हमास का खत्म करके ही दम लेंगे. इस तरह के बयान से साफ है कि आगे क्या होने वाला है लेकिन इन सबके बीच सवाल यह है कि अगर गाजा से हमास के इंफ्रास्ट्रक्चर को, हमास के लड़ाकों को ठिकाने भी लगा दे तो आगे का रास्ता क्या है. यह बात अलग है कि इस सवाल का जवाब ना तो अमेरिका और ना ही इजरायल के पास है.


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2006 से गाजा पर हमास का शासन

गाजा पर हमास का शासन 2006 से है और करीब 2.3 मिलियन यानी 23 लाख लोग रहते हैं. इजरायली सरकार का मानना है कि हमास के लड़ाकों ने पूरे गाजा को टनल में तब्दील कर दिया है और उसके जरिए वो हमले को अंजाम देते रहते हैं लिहाजा उन सुरंगों को पूरी तरह तबाह करना ही होगा. अगर इजरायली हमले को देखें तो लगातार हमास के ठिकानों पर बमबारी की जा रही है ताकि वो फिर से सिर ना उठा सकें. हमास का कहना भी है कि इजरायली हमले में अब तक 3500 फिलिस्तीनियों की मौत भी हो चुकी है जो अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी है.



क्या है डर


इजरायल के तीन बड़े रक्षा अधिकारियों के मुताबिक अभी तो पूरा का पूरा ध्यान सिर्फ इस बात पर है कि किस तरह हमास आतंकियों की रीढ़ को तोड़ दिया जाए भले ही इसमें बड़े पैमाने पर निर्दोषों की जान क्यों ना चली जाए.  इसके साथ ही लोगों को गाजा में रह रहे लोगों को साफ कहा गया है कि वो जल्द से जल्द मिस्र की सीमा वाले इलाकों की तरफ चले जाएं. लेकिन वहीं सवाल उनके सामने भी है जंग के बाद क्या करना है जिसका जवाब उनके पास भी नहीं है, हालांकि यह बात सामने आ रही है कि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने इजरायली अधिकारियों से कहा था कि वो आगे के बारे में भी सोचें. खास बात यह भी है कि जो बाइडेन ने एक तरफ हमास को आईएसआईएस से ज्यादा खतरनाक तो बताया उसके साथ यह भी कहा कि जिस तरह से 9/11 हमले के बाद हालात बने उस तरह की स्थिति को ध्यान में रखने की जरूरत है. यानी कि वो कह रहे थे कि इजरायल को सिर्फ शक्ति ही नहीं बल्कि इस तरह की व्यवस्था पर भी काम करना होगा जिसके बाद पड़ोस में शांति बनी रहे.



मध्य एशिया को करीब से समझने वाले जानकारों के मुताबिक अगर गाजा से हमास की ताकत को खत्म कर भी दिया गया तो उसके बाद लेबनान का हिज्बुल्ला आतंकी संगठन परोक्ष हमले के लिए हमास के लड़ाकों की मदद कर सकता है और इस तरह की स्थिति इजरायल के लिए बेहतर नहीं होगी. जिस तरह से लड़ाई में निर्दोषों की जान जा रही है उसकी वजह से फिलिस्तीन में गुस्सा बहुत अधिक है और जंग के बाद उसका आतंकी संगठन हमास और हिज्बुल्ला फायदा उठा सकते हैं.


क्या था वियतनाम मामला

इजरायल और हमास की जंग को ​जानकार अमेरिका और वियतनाम से क्यों जोड़कर देख रहे हैं. इसके लिए अतीत में चलना होगा. वैचारिक तौर पर वियतनाम दो हिस्सों में बंटा था. उत्तर वियतनाम के साथ कम्यूनिस्ट देश थे और साउथ वियतनाम को अमेरिका का समर्थन हासिल था, वियतनाम के दोनों हिस्सों में 1956 से लेकर 1975 तक लड़ाई चली. लेकिन इस लड़ाई में दिलचस्प मोड़ तब आया जब अमेरिका ने अपनी सेना 9 फरवरी 1965 को भेज दी. इसे अंतरराष्ट्रीय जगत में अमेरिकी हस्तक्षेप के तौर पर माना गया. 1969 के करीब लड़ाई अपने चरम स्तर पर पहुंची और अमेरिकी सैनिकों की संख्या में इजाफा भी हुआ. अमेरिकी सरकार के फैसले की दो तरफा आलोचना हुई. एक तरफ अंतरराष्ट्रीय बिरादरी खासतौर पर साम्यवादी देश तो विरोध कर ही रहे थे दूसरी तरफ अमेरिका को घरेलू विरोध का सामना करना पड़ा और दबाव में अमेरिकी सरकार ने 1973 में फौज वापस बुला ली.