Gaza cold weather: वैसे तो पिछले कुछ समय से गाजा में क्या हुआ ये पूरी दुनिया ने देखा. इन सबके बीच सर्दी का मौसम जो कभी वहां बरकत और खुशहाली का प्रतीक था, अब डर और दुख की कहानी बन चुका है. 14 महीने से जारी युद्ध और लगातार खराब होते हालात ने गाजा के 20 लाख लोगों को भयंकर संकट में डाल दिया है. फिर यहां ठंड से कांपते बच्चे, नंगे पैर घूमते लोग, और तंबुओं में रह रहे परिवार बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं.


बुनियादी चीजों की भारी कमी


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असल में गाजा में जारी इजरायल-फलस्तीनी संघर्ष ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया है. सर्दी के इस मौसम में ठंड और बारिश के बीच अस्थायी तंबुओं में रह रहे लोग बेहद कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. सहायता कर्मियों के अनुसार, कंबल, गर्म कपड़े और लकड़ी जैसी बुनियादी चीजों की भारी कमी है. तंबू और तिरपाल भी इतने कमजोर हो चुके हैं कि वे ठंड और बारिश से बचाने में नाकाम हैं.


बच्चों के पास गर्म कपड़े नहीं


इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दक्षिणी शहर रफह से विस्थापित शादिया अयादा के पास अपने आठ बच्चों को बचाने के लिए केवल एक कंबल और एक गर्म पानी की बोतल है. उन्होंने कहा कि बारिश और तेज हवा का अंदेशा होते ही हम डर जाते हैं क्योंकि हमारे तंबू उड़ जाते हैं. बच्चों के पास गर्म कपड़े नहीं हैं और उन्हें बीमार होने का डर हर समय सताता रहता है.


उधर संयुक्त राष्ट्र और यूनिसेफ ने हालात को लेकर गंभीर चेतावनी दी है. यूनिसेफ के अनुसार, गाजा के 96% महिलाएं और बच्चे अपनी बुनियादी पोषण संबंधी जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहे हैं. अधिकतर लोग केवल आटे, दाल, पास्ता और डिब्बाबंद भोजन के सहारे जिंदा हैं. ठंड के बीच बच्चे प्लास्टिक जलाकर गर्म रहने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर और बुरा असर पड़ रहा है.


तंबुओं में दरवाजे नहीं 


एक अन्य मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 50 वर्षीय रिदा अबू जरादा ने बताया कि तंबुओं में दरवाजे नहीं हैं, और रात में चूहे उनके ऊपर चलते हैं. उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है जैसे हम बर्फ पर सो रहे हैं. सुबह उठते ही ठंड से कांपते रहते हैं. उनका कहना है कि उन्हें हर रात डर लगता है कि कहीं सुबह बच्चों को ठंड से मृत न पाए.


संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) ने कहा कि हाल के दिनों में खराब मौसम ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है. 20 लाख से अधिक लोग बुनियादी जरूरतों के बिना संघर्ष कर रहे हैं. एजेंसी ने कहा कि गाजा में ह्यूमनिटेरियन सहायता तक पहुंचना लगभग असंभव हो गया है. नवंबर में, औसतन 65 ट्रकों की सहायता गाजा पहुंची, जबकि युद्ध से पहले 500 ट्रकों का औसत था.


ठंड, कुपोषण और मानसिक तनाव 


गाजा के बच्चों की हालत और भी दयनीय है. वे ठंड, कुपोषण और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं. यूनिसेफ ने बताया कि 14,500 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है और हजारों घायल हुए हैं. पांच साल के साद का उदाहरण देते हुए यूनिसेफ ने कहा बमबारी में उसकी आंखों की रोशनी चली गई. जब कोई प्लेन ऊपर से गुजरता है, तो वह डर के मारे कांपने लगता है. एजेंसी इनपुट Photo: AI