IMEC : इजरायल पर हमास के हमले से `इंडिया मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर` पर असर! जंग के किन इलाकों से गुजरेगा मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट?
IMEC News: प्रधानमंत्री मोदी ने ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट 2023 को संबोधिक करते हुए कहा, `इंडिया-मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर देश के साथ वैश्विक समुद्री व्यापार को बदल देगा. ये गलियारा अतीत में सिल्क रूट की तरह पूरे वैश्विक व्यापार की तस्वीर बदल देगा.`
India-Middle East Europe Economic Corridor: पीएम मोदी अपने ड्रीम प्रोजेक्ट यानी इंडिया मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर बेहद उत्साहित हैं. उधर हमास के इजरायल पर हुए हमले से मिडिल ईस्ट में पैदा हुए हालातों को लेकर ये दावा किया जा रहा है कि इजरायल पर हमास के हमले के पीछे ईरान का हाथ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जो अटकलें लगाई जा रही हैं उनमें कहा जा रहा है कि ईरान (Iran) ने भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) को नुकसान पहुंचाने और इजरायल की सऊदी अरब की दोस्ती को रुकवाने के लिए इस हमले को अंजाम दिलाया है. ऐसे में एक बार फिर से इस गलियारे की जोर शोर से चर्चा हो रही है.
भारत की समुद्री क्षमताओं से हमेशा दुनिया को फायदा हुआ: PM Modi
पीएम मोदी ने ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट 2023 के तीसरे संस्करण को संबोधित करते हुए एक बार फिर अपने ड्रीम प्रोजेक्ट पर विस्तार से बात रखी है. पीएम मोदी ने कहा, 'आज एक नई विश्व व्यवस्था आकार ले रही है. बदलती विश्व व्यवस्था में दुनिया नई उम्मीदों के साथ भारत की ओर देख रही है. आर्थिक संकट से जूझ रही दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है. वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की शीर्ष 3 अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन जाएगा. दुनिया में एक विश्वसनीय वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की जरूरत है, जिसमें भारत अहम भूमिका निभाएगा.'
इंडिया मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर का रूट
दिल्ली में हुई G-20 बैठक के दौरान भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट कॉरिडोर की घोषणा हुई थी. ये कॉरिडोर भारत से चलकर यूएई (UAE), सऊदी अरब (Saudi Arabia) और जॉर्डन (Jordon) से होते हुए, इजरायल के जरिए यूरोप तक जाना तय हुआ था. इसके साथ ही बहुत जल्द सऊदी अरब और इजरायल के बीच एक औपचारिक समझौता भी होना था, जिसके तहत, इस्लामिक जगत में सबसे बड़ी अहमियत रखने वाला सऊदी अरब भी इजरायल को अपनी मान्यता दे देता. इजरायल पर हमास के हमले से अबतक हुए विचार-विमर्श और मंथन को कितना नुकसान पहुंचा है? इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है. लेकिन अब आपको इसके उस रूट के बारे में बताते हैं, जहां जंग के बीच भविष्य में क्या होगा, कोई नहीं जानता?
कॉरिडोर के रूट को समझिए जिसके आस-पास जंग जारी
भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा एक व्यापार मार्ग है, जो संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल के माध्यम से भारत को यूरोप से जोड़ने की योजना है. इस कॉरिडोर में रेल नेटवर्क के साथ समुद्री रूट यानी शिपिंग नेटवर्क भी शामिल है. भारत के मुंबई से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक समुद्री रास्ता होगा. उसके बाद पूरे मिडिल ईस्ट के देशों में रेल नेटवर्क बनेगा. ये रेल नेटवर्क संयुक्त अरब अमीरात से लेकर सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल तक होगा. इसके बाद फिर समुद्री रास्ता होगा. इसके दो रास्ते होंगे. पहला रास्ता इजरायल के बंदरगाह से इटली तक जाएगा. दूसरा रास्ता इजरायल से फ्रांस तक जाएगा. ये गलियारा 6000 Km लंबा है. जिसमें 3500 Km का समुद्री रूट होगा.
करीब 6000 किलोमीटर के इस गलियारे के बारे में कहा जा सकता है कि ये कॉरिडोर 21वीं सदी में सिकंदर के ग्रीस को पोरस के भारत से जोड़ता है. हालांकि ये दो प्रमुख भूमध्यसागरीय शक्तियों ग्रीस और तुर्किये के बीच तनाव भी पैदा कर रहा है. इस गलियारे में भारत के मुंबई (महाराष्ट्र) और मुंद्रा (गुजरात) पोर्ट को यूएई से जोड़ने वाला शिपिंग मार्ग है आगे भूमध्य सागर के तटों तक पहुंचने के लिए यूएई, सऊदी अरब और जॉर्डन को इजरायली बंदरगाह हाइफा से जोड़ने वाला एक रेल नेटवर्क होगा. इसके बाद इजरायल के हाइफ़ा को समुद्र के रास्ते ग्रीस के पीरियस बंदरगाह से जोड़ा जाएगा और इस तरह अंततः ये यूरोप से जुड़ जाएगा.
इस गलियारे की परियोजना से ग्रीस खुश है, जिसने यूरोप के लिए भारत का प्रवेश द्वार बनने पर खुशी जताई है, इससे तुर्की की चिंता बढ़ गई है. वो अपने देश के बाइपास किये जाने से खफा हैं. इसलिए तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोऑन इसका विरोध कर रहे हैं. वो कह चुके हैं कि तुर्की के बिना कोई गलियारा नहीं है.
इस कॉरिडोर के बन जाने के बाद भारत से यूरोप तक सामान पहुंचाने में 40% समय की बचत होगी. अभी भारत से समुद्री रास्ते से यूरोप के जर्मनी तक कंसाइनमेंट पहुंचने में करीब 36 दिन का समय लगता है. लेकिन पीएम मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट कॉरिडोर बनने के बाद 2 हफ्ते में सामान पहुंच जाएगा. दरअसल अभी जो कंटनेर सामान लेकर मुंबई से निकलते हैं, वो स्वेज नहर के रास्ते यूरोप पहुंचते हैं. कॉरिडोर बनने के बाद ये कंटेनर दुबई से इजरायल के हाइफा पोर्ट तक ट्रेन से जा सकते हैं. इससे भारत और दुनियाभर के कारोबारियों का समय और पैसा, दोनों बचेगा.
इस गलियारे में इजरायल है. जहां जंग के हालात भारत के इस प्रस्तावित गलियारे के लिए शुभ नहीं हैं.
इजरायल और आसपास तनाव का इतिहास-क्षेत्रीय शांति की जरूरत
इजरायल और आस-पास का इलाका कई दशकों से रक्त चरित्र का गवाह रहा है. 14 मई 1948 को यहूदियों ने अपने हिस्से को एक अलग देश घोषित कर दिया, जिसका नाम इजराइल रखा गया. इस फैसले से अरब जगत के देश नाखुश थे. युद्ध में लाखों फिलिस्तीनी बेघर हो गए. 1948 के युद्ध में फिलिस्तीन का काफी बड़ा हिस्सा इजरायल के कब्जे में था. 1949 में एक आर्मीस्टाइस लाइन खींची गई, जिसमें फिलिस्तीन के 2 क्षेत्र बने- वेस्ट बैंक और गाजा. इसी गाजा (गाजा पट्टी) में करीब 20 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं. यहां येरुशलम विवाद के केंद्र में है, जिसे लेकर इजरायल और अरब जगत के देशों में ठनी है. इस क्षेत्र में दूसरा बड़ा संघर्ष जीवन यापन का है. ऐसे में भारत के इस गलियारे के रूट के आस-पास के देशों में भी शांति और स्थायित्व की जरूरत है.