Japan special elections: जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने इस बात से इनकार किया है कि वह विशेष चुनावों में अपनी पार्टी की हार के कारण पद छोड़ देंगे. japannews.yomiuri की एक मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि, पिछले सप्ताह हुए उप-चुनावों में उनकी सत्तारूढ़ पार्टी की बड़ी हार हुई. जिसकी वजह उन्होंने काफी हद तक राजनीतिक धन उगाही घोटाले को बताया है. उनका साफ कहना है कि वह इस हार की कोई जिम्मेदारी नहीं लेंगे और न ही इसकी वजह से वह पद से इस्तीफा देंगे.

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तीन सीटों पर मिली हार
सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी को रविवार को उस समय खूब तगड़ा झटका लगा, जब प्रतिनिधि सभा के उपचुनाव में प्रस्तावित सभी तीन सीटों पर हार मिली.  यह हार प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के आगे की राह मुश्किल करने वाला है. किशिदा की जगह लेने के लिए संभावित उम्मीदवारों और जापान की संवैधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी और अन्य पार्टियों के लिए अब राहें मुश्किल होने वाली हैं. प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा, जो एलडीपी(लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी) के अध्यक्ष के रूप में भी हैं. 

हार के बाद
किशिदा ने मंगलवार को चुनाव हारने के बाद बातचीत में बताया कि वह भ्रष्टाचार विरोधी उपायों और राजनीतिक सुधारों को आगे बढ़ाएंगे. किशिदा ने कहा, "जैसा कि मैं नतीजों को गंभीरता से लेता हूं, मेरा मानना है कि सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष के रूप में हमें अपने सामने आने वाली चुनौतियों से एक-एक करके निपटना चाहिए और परिणाम हासिल करना चाहिए, और इसी तरह मैं जिम्मेदारी लूंगा." "ऐसा करके, मैं लोगों का भरोसा दोबारा हासिल करेंगे.”


भ्रष्टाचार हार की वजह!
किशिदा ने कहा कि सत्ता में रहते हुए जो घोटाले देश में हुए उसकी वजह से चुनाव में पार्टी के लिए "एक बड़ी और भारी बाधा" पैदा की है. किशिदा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के दर्जनों सांसदों पर घोटाले का आरोप है.‌ जिसमें कथित तौर पर रिपोर्टों में हेराफेरी, टिकटों की बिक्री से लेकर राजनीतिक आयोजनों के बहाने मुनाफा कमाने जैसे आरोप हैं.

चुनावी हार
रूढ़िवादी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी रविवार को नागासाकी, शिमाने और टोक्यो में हुए संसदीय उपचुनावों में सभी तीन सीटें हार गई. किशिदा की पार्टी ने केवल रूढ़िवादी गढ़ शिमाने में अपना उम्मीदवार खड़ा किया था,  जबकि उदारवादी झुकाव वाली मुख्य विपक्षी जापान की संवैधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी ने एलडीपी के पास पहले से मौजूद सभी तीन सीटें जीत लीं. इस हार को मतदाताओं द्वारा सत्ताधारी पार्टी के घोटाले की सजा के रूप में देखा जाता है, जो पिछले साल सामने आया था और जिसने किशिदा के नेतृत्व को कमजोर कर दिया था.

पीएम का सपना टूटा!
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि किशिदा जून के अंत में वर्तमान संसदीय सत्र समाप्त होने के बाद संभवतः मध्यावधि चुनाव कराने की उम्मीद कर रहे थे, ताकि सार्वजनिक जनादेश प्राप्त किया जा सके और फिर सितंबर में पार्टी के राष्ट्रपति पद के लिए मतदान में एक और कार्यकाल जीता जा सके. लेकिन इसमें वह सफल नहीं हो पाए. और तीनों सीटों के हारने के बाद उनका मनोबल कमजोर हो जाएगा.