Omicron: कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron) दुनिया में तेजी से क्यों फैल रहा है. इस मुद्दे पर अब जापान के Kyoto Prefectural University of Medicine की रिसर्च (Latest Study on Omicron) सामने आई हैं. 


प्लास्टिक सरफेस पर 193 घंटे तक जीवित


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रिसर्च के मुताबिक, ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron) स्किन के ऊपर लगभग 21 घंटो तक जीवित रह सकता है. वही प्लास्टिक सर्फेस पर यह वेरिएंट 193 घंटों से ज्यादा एक्टिव रह सकता है.  अपनी इन दोनों खूबियों के चलते यह वेरिएंट कोरोना के बाकी वेरिएंट की तुलना में ज्यादा संक्रामक बन जाता है. यही वजह है कि कोरोना के किसी और वेरिएंट की तुलना में यह वेरिएंट ज्यादा तेजी के साथ दुनिया में फैल रहा है.


बाकी वेरिएंट से ज्यादा संक्रामक


रिसर्च के अनुसार, कोरोना वायरस का अधिक समय तक सतह पर जिंदा रहना उसके तेज़ी से फैलने में अहम भूमिका निभाता है. स्टडी करने वाले वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना वायरस का ओरिजनल स्ट्रेन प्लास्टिक की सतहों पर 56 घंटे, अल्फा स्ट्रेन 191.3 घंटे, बीटा 156.6 घंटे, गामा 59.3 घंटे और डेल्टा वेरिएंट 114 घंटे तक जीवित रहने में सक्षम था. 


स्किन पर 21 घंटे तक जीवित


वहीं, कोरोना वायरस का लेटेस्ट वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) 193.5 घंटे तक जीवित रह सकता है. अगर स्किन पर वायरस जीवित रहने की बात करें तो कोरोना का ओरिजनल स्ट्रेन 8.6 घंटे, अल्फा वेरिएंट 19.6 घंटे, बीटा वेरिएंट 19.1 घंटे, गामा 11 घंटे, डेल्टा 16.8 घंटा और ओमिक्रॉन वेरिएंट 21.1 घंटे तक जीवित रह सकता है.


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भारत में कोरोना के 22 लाख सक्रिय मामले


इस रिसर्च के सामने आने के बाद एक बार फिर कोरोना प्रोटोकॉल की अहमियत सामने आई है. बार बार हाथ धोने, सैनिटाइजर के इस्तेमाल और हमेशा मास्क लगाए रखने से आप कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron) से बच सकते हैं. देश में इस समय कोरोना के कुल एक्टिव मामले 22 लाख से अधिक है. ऐसे में कोरोना के मामलो को कंट्रोल करने में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना बेहद जरूरी हो गया है.


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