अटलांटिक महासागर में टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने गई पनडुब्बी का अभी तक कोई पता नहीं लग पाया है. उसे खोजने के लिए 96 घंटे की समय सीमा समाप्त होने वाली है. इसी के साथ इसमें मौजूद ऑक्सीजन भी तेजी से खत्म हो रही है. पनडुब्बी ‘टाइटन’ में पांच लोग सवार हैं.


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विशेषज्ञों के मुताबिक, पनडुब्बी में सवार लोग ऑक्सीजन को बचाने का उपाय किए होंगे तो उसकी समय सीमा बढ़ सकती है. हालांकि, अभी ये कहा नहीं जा सकता कि पनडुब्बी में मौजूद लोग जीवित भी हैं, या नहीं. अमेरिकी तटरक्षक ने गुरुवार को बताया कि एक कनाडा के जहाज द्वारा भेजा गया एक रोबोट समुद्र के तल पर पहुंच गया है और उसने पनडुब्बी की तलाश शुरू कर दी है.


पनडुब्बी की खोजबीन के बीच इससे पहले टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने गए लोगों ने अपने भयावह अनुभवों के बारे में बताया है. दो साल पहले टाइटैनिक के मलबे को देखने के लिए गए अभिनेता एलन एस्त्रादा ने बताया कि यात्रा के दौरान सभी लोगों को पता था कि वो रिस्क उठा रहे हैं. उतनी गहराई में जाने के बाद अगर कुछ हुआ तो हम कुछ नहीं कर पाते, ये भी हम लोगों को पता था. इस यात्रा में कुछ भी खास नहीं था और न ही इसमें ज्यादा जगह थी.


साल 2021 में टाइटैनिक का मलबा देखने गए आरोन न्यूमैन ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि जहाज छोटा था. कुछ ही मिनट के बाद पूरी तरह अंधेरे में थे हमलोग. ऐसी स्थिति में सिर्फ पनडुब्बी की लाइटें थीं, जिनसे बाहर या अंदर देखा जा सकता था. इन लाइटों की मदद के बिना कोई भी 100 मीटर से ज्यादा नहीं देख सकता था.


पिछले साल इस ट्रिप पर गए माइक रीस और उनकी पत्नी ने बताया कि यात्रा के दौरान काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था. समय कम था और समुद्र में हमारी पनडुब्बी से एक तूफान टकराने वाला था. लेकिन हम लोग सही सलामत आ गए. जब हमने यात्रा के लिए पनडुब्बी में पैर रखा था तब हम जानते थे कि हमारे साथ कुछ भी हो सकता है.


वहीं, पिछले साल ही टाइटैनिक का मलबा देखने गए डेविड पोग ने खुलकर इस यात्रा के बारे में बातचीत की. उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान कुछ भी होने की स्थिति में आपके हाथ में कुछ भी करने लायक नहीं होता. उन्होंने बताया कि अंदर मैजूद लोगों की जान चली भी जाए तो भी पनडुब्बी लौट सकती है.


उन्होंने बताया कि 37 फीट नीचे जाने के बाद तकनीकी समस्या आ गई थी जिसके बाद वापस आना पड़ा था. यात्रा रद्द हो गई थी. वो सदमे में चले गए थे. उन्होंने बताया कि इस यात्रा से पहले यात्रियों से एक कागज पर हस्ताक्षर करवाए जाते हैं, जिसमें लिखा होता है कि इस यात्रा के दौरान जान भी जा सकती है.