स्कोप्जे: स्कूल (School) में बच्चों का एक-दूसरे को परेशान करना आम है. कई बार ये ‘आम’ सी दिखने वाली बात इतनी बढ़ जाती है कि बच्चे स्कूल जाने से भी कतराने लगते हैं. यदि बच्चा स्पेशल चाइल्ड हो तो स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाती है. यूरोप के छोटे से देश रिपब्लिक ऑफ नॉर्थ मैसेडोनिया में भी एक मानसिक तौर पर कमजोर बच्ची को क्लासमेट परेशान करते थे, इस बारे में जब वहां के राष्ट्रपति (President of North Macedonia) को पता चला तो उन्होंने ऐसा कदम उठाया जिसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की होगी.   


Down Syndrome से पीड़ित है एम्बला


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

CNN की रिपोर्ट के अनुसार, 11 साल की एम्बला एडेमी (Embla Ademi) गोस्टीवार के एक स्कूल में पढ़ती है. एम्बला जन्म से ही मानसिक और शारीरिक तौर पर दूसरे बच्चों की तरह एक्टिव नहीं है. मेडिकल टर्म में इसे डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) कहा जाता है. एम्बला को उसकी क्लास के दूसरे बच्चे परेशान करते थे. राष्ट्रपति स्टीवो पेंड्रोवस्की (Stevo Pendarovski) को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने पूरी जानकारी हासिल की. 


ये भी पढ़ें -हैवान बने मां-बाप: गोद लिए बच्चे को पांच साल तक बॉक्स में कैद रखा, हर रोज होती थी पिटाई


बच्ची के घर पहुंच गए राष्ट्रपति 


प्रेसिडेंट स्टीवो ने एक दिन एम्बला के पैरेंट्स से बात की और उनके घर पहुंच गए. एम्बला के परिवार ने राष्ट्रपति को बताया कि उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. स्कूल में दूसरे बच्चे किस तरह एम्बला का मजाक उड़ाते हैं. इसके बाद राष्ट्रपति बच्ची के पिता के साथ खुद उसकी उंगली पकड़कर पैदल स्कूल छोड़ने पहुंचे, ताकि बच्ची का हौसला बढ़े और दूसरे लोगों को समझ आ सके कि स्पेशल चाइल्ड के साथ किसी भी किस्म का भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. 


सोशल मीडिया पर वायरल ही रही तस्वीर


बच्ची को स्कूल छोड़ने जाते राष्ट्रपति का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. लोग स्टीवो पेंड्रोवस्की की तारीफ कर रहे हैं कि उन्होंने बिजी शेड्यूल में से बच्ची के लिए वक्त निकाला और खुद उसे स्कूल छोड़कर आए. राष्ट्रपति ने बताया कि स्कूलों में इस तरह के बच्चों से किसी तरह का भेदभाव न हो, इसके लिए कानून बनाया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि एक राष्ट्र और एक नागरिक के तौर पर यह हमारी जिम्मेदारी है कि हर किसी को समानता का अधिकार मिले. हमें एम्बला जैसे बच्चों के लिए एकजुट होना होगा.