Lahore Air Quality: कंगाल पाकिस्तान की हालत बद से बदतर होती जा रही है. हर तरफ से पाकिस्तान पर मुसीबतों का पहाड़ गिर रहा है. महंगाई और गरीबी से जूझ रहे पाकिस्तान के लोगों को अब प्रदूषण का सितम झेलना पड़ रहा है. पाकिस्तान का लाहौर शहर दुनिया का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर बन गया है. लाहौर में एयर क्वालिटी बेहद से भी ज्यादा खराब हो चुकी है. गौर करने वाली बात यह है कि इस हफ्ते में दूसरी बार लाहौर दुनिया का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर बना है.


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लाहौर दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित


पाकिस्तान के सांस्कृतिक शहर लाहौर को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है, क्योंकि यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 394 पर पहुंच गया है. पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने धूम कोहरे (स्मॉग) के प्रभाव को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश की योजना बनाई है. एक्यूआई हवा में विभिन्न प्रदूषकों की सांद्रता का माप है.


बढ़ता जा रहा प्रदूषण का संकट


शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच को 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच को 'मध्यम', 201 और 300 के बीच को 'खराब', 301 और 400 के बीच को 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच को 'गंभीर' माना जाता है. फसल के अवशेषों को जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन के कारण वायु प्रदूषण का संकट बढ़ गया है.


खांसी, सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन


खतरनाक धूम कोहरे के कारण शहर के निवासियों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिनमें खांसी, सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और त्वचा संक्रमण शामिल है. पंजाब की सूचना मंत्री आजमा बुखारी ने मंगलवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'कल लाहौर को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया. हमने इस मामले को सुलझाने के लिए कई पहल की हैं और अब हम शहर में कृत्रिम बारिश की योजना बना रहे हैं.'


क्या कहा मरियम नवाज ने..


मरियम नवाज की पंजाब सरकार ने धूम कोहरा रोधी दल भी बनाया है जो इससे (धूम कोहरा से) प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगा. ये दल किसानों को फसल अवशेष जलाने के खतरों के बारे में शिक्षित करेंगे, सुपर सीडर के उपयोग को बढ़ावा देंगे तथा अवशेष निपटान के लिए वैकल्पिक तरीकों की जानकारी देंगे.


किसानों से फसल अवशेष जलाने से बचने का आग्रह


पंजाब की पर्यावरण मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा, 'धूम कोहरे से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के सकारात्मक प्रभाव आठ से 10 वर्षों में दिखाई देने लगेंगे. प्रांत में पर्यावरण संरक्षण को पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में शामिल किया गया है.' उन्होंने किसानों से फसल अवशेष जलाने से बचने का आग्रह किया तथा कहा कि ऐसा करने से न केवल फसलों को नुकसान पहुंचता है, बल्कि उनके बच्चों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचता है.


(एजेंसी इनपुट के साथ)