Ajit Doval China Visit: तीन बार मोदी सरकार और तीनों बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के रूप में अजीत डोभाल की नियुक्ति यह दिखाती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए वह कितने अहम हैं. हमेशा सुर्खियों और कैमरों से दूर रहने वाले डोभाल का हर मिशन रणनीतिक सफलता के लिए जाना जाता है. अब उनकी चीन यात्रा ने सबकी नजरें खींच ली हैं.


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चीन में अजीत डोभाल का एजेंडा


NSA अजीत डोभाल 17 दिसंबर को बीजिंग जाने वाले हैं, जहां उनकी मुलाकात चीन के विदेश मंत्री वॉन्ग यी से होगी. इससे पहले, 12 सितंबर को रूस के सेंट पिट्सबर्ग में दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी. माना जाता है कि उसी बैठक में LAC पर अक्टूबर में हुए डिसएंगेजमेंट का खाका तैयार हुआ था. इस बार डोभाल के एजेंडे में कई महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हो सकते हैं.


बांग्लादेश और आतंकवाद का मुद्दा


बांग्लादेश में हालिया घटनाएं भारत के लिए चिंता का विषय रही हैं. यूनुस सरकार का कथित एंटी-इंडिया एजेंडा और वहां सक्रिय आतंकी संगठनों की मौजूदगी सुरक्षा के लिहाज से खतरा पैदा कर सकती है.


ARSA का प्रभाव: अराकान रोहिंग्या सैलवेशन आर्मी (ARSA) के आतंकियों को बांग्लादेश में शरण दी गई है.
पाकिस्तानी कनेक्शन: ISI के अधिकारी और पाकिस्तानी आतंकी भी बांग्लादेश में सक्रिय हैं.


ये गुट पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में आतंकवाद को बढ़ावा दे सकते हैं. डोभाल संभवतः चीन से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे, क्योंकि सेंट मार्टिन द्वीप पर चीन की चिंता भी इससे जुड़ी है.


एलएसी पर तनाव कम करने की कोशिश


चीन के साथ डोभाल की बातचीत में LAC पर जारी विवाद, खासकर देपसांग और डेमचॉक के मुद्दे, भी शामिल हो सकते हैं. यह बैठक स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव्स मैकेनिज्म के तहत आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य सीमा विवादों को हल करना है.


अजीत डोभाल की कूटनीतिक सफलता का इतिहास


डोभाल के कंधों पर अब तक कई बड़े मिशन की जिम्मेदारी रही है, और उन्होंने हर बार उसे सफलतापूर्वक पूरा किया है.


ISIS से भारतीय नर्सों का रेस्क्यू: तिकरित से भारतीय नर्सों को सुरक्षित निकालने का मिशन.
iCET समझौता: अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण रक्षा समझौते को अंतिम रूप देना.
चीन के साथ बातचीत: पहले भी सीमा विवादों में डोभाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.


क्या होगा चीन दौरे का नतीजा?


डोभाल की इस यात्रा से उम्मीद की जा रही है कि वह न केवल बांग्लादेश से जुड़े आतंकवाद के मुद्दे पर चीन का रुख स्पष्ट करेंगे, बल्कि LAC पर तनाव कम करने के लिए भी ठोस कदम उठाएंगे. उनके इस मिशन के नतीजे भारत की सुरक्षा और कूटनीति के लिए अहम साबित हो सकते हैं. अजीत डोभाल की चीन यात्रा भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. चाहे बांग्लादेश का आतंकवाद हो या चीन के साथ सीमा विवाद, डोभाल का हर कदम भारत की सुरक्षा और कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए उठाया जा रहा है.