India Pakistan War 1971: मौजूदा भारत-बांग्लादेश संबंधों के बीच 16 दिसंबर को 1971 की याद ज्यादा जरूरी है. भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध के चलते बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन सफल हुआ था. हालांकि, तब 1971 में किसिंजर और निक्सन ने पाकिस्तान की मदद की थी. अमेरिकी अभिलेखागार के दस्तावेजों से ही इसका पता चला था.
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America Role In 1971 War: आज से 53 साल पहले 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़े युद्ध का नतीजा 16 दिसंबर को ही सामने आया था. इसके चलते ही पूर्वी पाकिस्तान नक्शे पर से मिट गया था और दुनिया में बांग्लादेश नाम का एक नया देश बना था. पाकिस्तान पर भारत की बड़ी जीत के चलते बांग्लादेश मुक्ति के आंदोलन को मंजिल मिली थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और NSA हेनरी किसिंजर का दांव
बदली परिस्थितियों में आज अमेरिकी इशारों पर चलते और कट्टर इस्लामिक बनते और पाकिस्तान को लेकर सॉफ्ट बताए जा रहे पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश के निर्माण से तब अमेरिका को दिक्कत थी. तब अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर ने पाकिस्तान की मदद की थी. वहीं, भारत की कोई मदद नहीं की थी. ऐसे जरूरी वक्त में अमेरिकी प्रशासन ने भारत के साथ पहले से तय हथियारों के करार तक को तोड़ दिया था और सप्लाई से पीछे हट गया था.
US के राष्ट्रीय सुरक्षा अभिलेखागार द्वारा पब्लिक किए गए थे दस्तावेज
ऐतिहासक तथ्यों के मुताबिक, दिसंबर, 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू होने के एक दिन बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर ने पाकिस्तान पर अमेरिकी हथियारों के प्रतिबंध को तोड़ दिया और यह सुनिश्चित किया कि इस्लामाबाद को जॉर्डन जैसे तीसरे देशों से हवाई सहायता मिल सके. यह जानकारी उन दस्तावेजों के एक समूह का हिस्सा थी, जिन्हें पहले ही सार्वजनिक कर दिया गया था, लेकिन प्रोफेसर किसिंजर के 100 वर्ष की आयु में निधन के अवसर पर यूएस के राष्ट्रीय सुरक्षा अभिलेखागार द्वारा प्रसारित किया गया था.
निक्सन-किसिंजर की जोड़ी ने भारत नहीं, पाकिस्तान का दिया साथ
इन अहम अमेरिकी दस्तावेजों ने दिसंबर 1971 के पहले पखवाड़े के महत्वपूर्ण 13 दिनों पर नए सिरे से प्रकाश डाला है. इसने खुलासा किया है कि निक्सन-किसिंजर की जोड़ी भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ एक व्यापक युद्ध शुरू करने से चिंतित थी और पाकिस्तानी राज्य को "टूटने" से बचाना चाहती थी. युद्ध शुरू होने के एक दिन बाद 4 दिसंबर के एक केबल से पता चलता है कि अमेरिकी प्रशासन को यह विश्वास हो गया था कि युद्ध भारत द्वारा पाकिस्तान पर हमला करने के साथ शुरू हुआ था और राष्ट्रपति याह्या खान ने वाशिंगटन डीसी से सैन्य मदद के लिए एक तत्काल अपील भेजी थी.
डरे हुए याह्या खान ने किसिंजर से की थी फौरन मदद की अपील
बातचीत के दौरान, किसिंजर को यह कहते हुए पाया गया, “याह्या ने हमसे एक तत्काल अपील की है. उन्होंने कहा कि उनकी सैन्य आपूर्ति बंद कर दी गई है . वे बहुत बुरी हालत में हैं.” किसिंजर ने फिर राष्ट्रपति निक्सन से पूछा, “क्या हम ईरान के माध्यम से मदद करेंगे?” उस समय ईरान पर शाह का शासन था और वह अमेरिका के प्रति अनुकूल था. लेकिन जॉर्डन जैसे कुछ अन्य देश भी ऐसे ही थे, जिनके उस समय पाकिस्तान के साथ मजबूत सैन्य संबंध थे. किसिंजर के प्रस्ताव के जवाब में, राष्ट्रपति निक्सन ने कहा, “मुझे यह विचार पसंद है. मुख्य बात यह है कि भारत के हाथों उन्हें टूटने से बचाना है.”
अमेरिका में राष्ट्रपति निक्सन और व्हाइट हाउस के खिलाफ विद्रोह
द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल हुए इस बड़े खुलासे ने अमेरिका में उन दुर्भाग्यपूर्ण दिनों के दौरान हुई बातचीत को जोड़ा है जब ढाका में अमेरिकी दूत आर्चर ब्लड सहित कई प्रमुख अमेरिकियों के नेतृत्व में अमेरिकी प्रतिष्ठान के एक हिस्से ने निक्सन और व्हाइट हाउस के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, क्योंकि ढाका और पूर्वी पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में पाकिस्तानी सेना द्वारा नरसंहार की खबर सामने आई थी.
अमेरिका के कहने पर जॉर्डन ने पाकिस्तान को दिए थे 17 लड़ाकू विमान
अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन का मानना था कि भारतीय पक्ष को अमेरिकी नौकरशाही के भीतर से, खास तौर पर अमेरिकी विदेश विभाग से बहुत समर्थन मिल रहा था और वे नौकरशाही पर नकेल कसना चाहते थे. 4 दिसंबर, 1971 को उन्हें आश्वस्त किया गया कि जॉर्डन ने पाकिस्तान को 17 लड़ाकू विमान भेजे हैं. दस्तावेज़ से पता चलता है कि कई अतिरिक्त विमान तीसरे देशों से पाकिस्तान भेजे गए थे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अगर इंदिरा गांधी भारतीय युद्ध मशीन का मुंह पश्चिमी पाकिस्तान की ओर मोड़ना चाहती हैं तो इस्लामाबाद अपनी रक्षा कर सके.
NSA अभिलेखागार के दस्तावेज़ों में प्रसिद्ध ब्लड टेलीग्राम भी शामिल
NSA अभिलेखागार के दस्तावेज़ों में प्रसिद्ध ब्लड टेलीग्राम भी शामिल है, जो ढाका में अमेरिकी महावाणिज्यदूत आर्चर ब्लड का मैसेज है. ब्लड द्वारा भेजे गए संदेश में कहा गया था, "मेरा मानना है कि पूर्वी पाकिस्तान में सबसे बेहतरीन अमेरिकी अधिकारियों के विचार ही अमेरिकी समुदाय के अधिकांश लोगों द्वारा आधिकारिक और अनौपचारिक दोनों रूप में प्रतिध्वनित होते हैं." उन्होंने आगे कहा, "पूर्वी पाकिस्तान में चल रहे संघर्ष का सबसे संभावित अंतिम परिणाम बंगाली जीत और परिणामस्वरूप एक स्वतंत्र बांग्लादेश की स्थापना है."
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अप्रैल 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना का ऑपरेशन सर्चलाइट
यह टेलीग्राम अप्रैल 1971 में पाकिस्तानी सेना द्वारा ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू करने के कुछ दिनों बाद भेजा गया था. पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन के तहत पूर्वी पाकिस्तान में नागरिक आबादी का व्यवस्थित सफाया शुरू हुआ था. इस चौंकाने वाले संदेश में शब्दों की कोई कमी नहीं थी और ढाका में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में तैनात बड़ी संख्या में अमेरिकी अधिकारियों ने इस पर हस्ताक्षर किए थे और नरसंहार के हमले के सामने अमेरिका की चुप्पी को "दिवालियापन" बताया था.
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ढाका और आसपास पाकिस्तानी सेना ने मचाए कत्लेआम, अमेरिका की चुप्पी
ब्लड टेलीग्राम ने आगे बताया कि ढाका और ग्रामीण इलाकों में पाकिस्तानी सेना के हाथों कत्लेआम के सामने अमेरिका की चुप्पी ने अमेरिकी प्रशासन को सोवियत संघ की तुलना में खराब माहौल में घिरा दिखाया. अमेरिका ने पाकिस्तान के तत्कालीन नेता याह्या खान से दिसंबर 1970 के चुनाव के परिणाम का सम्मान करने के लिए कहा था. उस चुनाव में शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में अवामी लीग के पक्ष में फैसला दिया गया था.
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