DNA: अवाम चाहती थी मजबूत सरकार लेकिन पाकिस्तान में तो रायता फैल गया, क्या लगेगा मिलिट्री लॉ?
Pakistan News: पाकिस्तान की अवाम को उम्मीद थी कि चुनाव खत्म होने के बाद देश को स्थिर सरकार मिलेगी और हालात सामान्य हो जाएंगे. लेकिन चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिलने से अब पाकिस्तान में सियासी रायता फैल गया है.
Pakistan Election Results: पाकिस्तान में हुए आम चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. हालांकि चुनाव किस तरह हुए और नतीजों में कैसी धांधली हुई, यह किसी से छिपा नहीं है. वैसे पाकिस्तान की अवाम को उम्मीद थी कि चुनाव खत्म होने के बाद देश को स्थिर सरकार मिलेगी और हालात सामान्य हो जाएंगे. लेकिन चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिलने से अब पाकिस्तान में सियासी रायता फैल गया है. पाकिस्तान में अब चर्चा नई सरकार के गठन को लेकर है.
सरकार नवाज शरीफ बनाएंगे या बिलावल भुट्टो. या जेल में कैद इमरान खान सत्ता की मलाई खा पाएंगे. इस समय पाकिस्तानी मीडिया में सरकार गठन को लेकर तीन विकल्पों पर चर्चा हो रही है.
सरकार गठन का पहला विकल्प नवाज शरीफ की पार्टी PML(N),बिलावल भुट्टो की PPP और MQM यानी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट की गठबंधन सरकार का है.
सरकार गठन का दूसरा विकल्प PML(N), MQM और बाकी छोटे दलों के साथ कुछ निर्दलीय सांसदों के समर्थन से नवाज शरीफ के सरकार बनाने का है.
सरकार गठन का तीसरा विकल्प कहता है कि इमरान समर्थित 93 निर्दलीय सांसद बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को समर्थन देकर सरकार बना लें.
तीनों विकल्प ऐसे हैं कि पाकिस्तान में सरकार बन सकती है, लेकिन जितना आसान लग रहा है, जमीनी हकीकत इससे अलग है. क्योंकि, सरकार बनाने के तीनों ही विकल्पों में कई पेच हैं, जिससे इस देश में सियासी संकट खत्म होने के बजाए गहराता हुआ दिखाई दे रहा है. इसलिए विस्तार से तीनों विकल्पों को समझने की कोशिश करते हैं. अगर पहले विकल्प की बात करें तो..
PML(N), PPP और MQM तीनों दल मिलकर सरकार बना सकते हैं. क्योंकि PML(N) को 75, PPP को 54 और MQM को 17 सीट मिली हैं. यानी कुल मिलाकर तीनों दलों के पास 146 सीट हैं, जबकि बहुमत के लिए 134 सीटें चाहिए.
लेकिन PPP के चेयरमैन बिलावल भुट्टो प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए अड़े हुए हैं, जबकि PML(N) प्रधानमंत्री पद पर पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को चाहती है और बिलावल को विदेश मंत्री बनाने के लिए राजी है.
बिलावल भुट्टो विदेश मंत्री बनने को तैयार नहीं हैं. इस वजह से दोनों दलों के बीच सरकार बनाने में पेंच फंसा हुआ है.
पहला विकल्प फेल होने पर PML(N) ने दूसरा रास्ता निकाला है. नवाज शरीफ MQM और बाकी सभी छोटे दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने को तैयार हैं, जिनकी कुल संख्या 34 बनती है जबकि 8 निर्दलीय सांसद भी हैं.
हालांकि, इससे कुल संख्या बल 117 होता है. बहुमत के लिए कुछ इमरान समर्थित निर्दलीय सांसदों को अपने पाले में लाकर सरकार गठन का प्लान है.
पाकिस्तान में सरकार गठन का तीसरा विकल्प इमरान खान हैं. अगर इमरान समर्थित निर्दलीय सांसद PPP में शामिल हो जाएं, तो बहुमत हासिल करके सरकार बना सकते हैं. इन दोनों दलों को नेशनल असेंबली की कुल 147 सीट मिली हैं.
इससे दोनों दलों को राजनीतिक फायदा मिल सकता है. बिलावल भुट्टो की प्रधानमंत्री बनने की तमन्ना पूरी हो सकती है. जबकि सरकार में रहते हुए इमरान खान अपने केस खत्म कराकर जेल से बाहर आ सकते हैं.
सभी दल देख रहे अपना फायदा
पाकिस्तान के तीनों बड़े राजनीतिक दल अपना-अपना सियासी फायदा देख रहे हैं, लेकिन भारत के इस पड़ोसी देश में बिना आर्मी की इजाजत के कुछ नहीं होता. ऐसे में जानकारों का मानना है कि आर्मी देश में उस दल की सरकार चाहेगी जो उसके इशारों पर काम कर सके.
पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा कई बार हो चुका है.साल 2018 में भी इमरान खान आर्मी की वजह से ही सत्ता में आए थे. इसबार के चुनाव में आर्मी ने अघोषित तौर पर नवाज शरीफ का साथ दिया था, फिर भी नवाज की पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर सकी.
वोटों की धांधली, चोरी और हेराफेरी के साथ पाकिस्तान में आम चुनाव संपन्न हुए, तस्वीरें पूरी दुनिया ने देखी. नवाज शरीफ को नतीजों में बहुमत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उम्मीदों पर पानी फिर गया. किसी को बहुमत नहीं मिला.
PTI समर्थित निर्दलीय सांसद पहले नंबर पर रहे, लेकिन बहुमत का आंकड़ा नहीं छू सके. आरोप है कि वोटों की गिनती और नतीजों में हेरफेर किया गया. अब इसके खिलाफ PTI अदालत का रुख करने वाली है.
पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि यहां कोई भी प्रधानमंत्री अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका. ऐसा इसलिए होता आया है कि जब सेना चाहती है प्रधानमंत्री को कुर्सी से हटा देती है.
पाकिस्तान की आर्मी देश में अस्थिर और कमजोर सरकार चाहती है.
देश में जितनी कमजोर सरकार होगी, आर्मी उतनी ताकतवर होगी.
पाकिस्तान आर्मी ऐसी सरकार चाहती जो उसके इशारों पर काम करे.
जब कमजोर सरकार आर्मी के खिलाफ जाती है, आर्मी सरकार ही गिरा देती है.
इमरान के साथ यही हुआ, जब वो आर्मी के खिलाफ बोलने लगे तो हटा दिए गए.
चुनाव के बाद पाकिस्तान में जो स्थिति है, उसमें गठबंधन सरकार ही बन सकती है. इसमें नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो के मिलकर सरकार बनाने की संभावना है. इसमें सबसे ज्यादा फायदा आर्मी का ही है.
गठबंधन सरकार में आर्मी हावी रहती है, इसमें कोई शक नहीं कि बिलावल या नवाज शरीफ में से किसी ने आर्मी के खिलाफ जाने की कोशिश की तो आर्मी विकल्प के तौर पर इमरान को खड़ा कर सकती है.
...तब सेना लागू कर सकती है मिलिट्री लॉ
मौजूदा हालात में पाकिस्तान आर्मी के पास एक रास्ता और है. किसी भी समय देश में अस्थिर राजनीतिक हालात का हवाला देकर सत्ता अपने हाथ में ले सकती है. यानी मिलिट्री लॉ लागू किया जा सकता है और ऐसा पाकिस्तान के इतिहास में कई बार हो चुका है.
पाकिस्तान में सरकार चाहे नवाज शरीफ बनाएं या फिर बिलावल भुट्टो. सरकार जिसकी भी होगी, अस्थिर ही होगी. जिससे पाकिस्तान नए आर्थिक संकट में फंस जाएगा. नतीजों से पहले ही इस आशंका को पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री हाफिज अहमद पाशा ने जाहिर किया था, जो अब सच साबित होती दिख रही है.
9 फरवरी को आम चुनाव के नतीजे आने शुरू हुए थे और इसी दिन पाकिस्तान के शेयर मार्केट में 2000 अंकों की गिरावट दर्ज की गई. इसे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में आने वाले संकट का संकेत माना जा रहा है. हाफिज अहमद पाशा का कहना है कि पाकिस्तान के सरकारी खजाने में सिर्फ 45 दिन का ही पैसा बचा है.
पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में सिर्फ 8 बिलियन डॉलर बचे हैं.
इससे पाकिस्तान सिर्फ डेढ़ महीने का सामान आयात कर सकता है.
जबकि पाकिस्तान के पास 3 महीने के आयात का पैसा होना चाहिए.
वर्ष 2024 में GDP 2.1 फीसदी की दर से बढ़ने की संभावना है.
देश में कमजोर सरकार आने पर GDP की दर और नीचे जा सकती है.
पाकिस्तान में जिस तरह से किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है. इससे साफ जाहिर है कि जिसकी भी सरकार बनेगी वो कमजोर ही होगी. अप्रैल 2022 में जब इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था, तब पाकिस्तान में राजनीतिक संकट की वजह से 4 महीने के अंदर पाकिस्तानी करेंसी की वैल्यू में 30 रुपये की गिरावट आई थी.
कर्ज के जंजाल में फंसा है पाकिस्तान
सरकार चाहे किसी भी दल की बने, लेकिन जिस तरह के राजनीतिक हालात पाकिस्तान में बने हैं. उनमें सरकार कोई बड़ा आर्थिक बदलाव नहीं ला सकती. क्योंकि नई सरकार बनते ही पाकिस्तान को विदेश से पैसा लेने की जरूरत होगी, जबकि पाकिस्तान पहले से ही 128 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज में दबा हुआ है.
पाकिस्तान की नई सरकार को IMF से कम से कम 3 बिलियन डॉलर का कर्ज लेना पड़ेगा. अगर नई सरकार ऐसा नहीं करेगी तो पाकिस्तान दिवालिया घोषित हो सकता है.
ब्याज चुकाने के लिए कर्ज लेता है पाक
एक तरफ पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है, दूसरी तरफ पाकिस्तान को अगले 2 महीने में 1 बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना है. पाकिस्तान विदेशी कर्जों के जाल में बुरी तरह फंसा हुआ है, इस देश के हालात इतने गंभीर हैं कि कर्जों का ब्याज चुकाने के लिए भी नया कर्ज लेना पड़ता है.
इससे बड़ी बात ये कि जब-जब पाकिस्तान में कमजोर या अस्थिर सरकार आती है, तब आर्थिक संकट गहराने लगता है. इस स्थिति में पाकिस्तान में सरकार चाहे कोई भी दल बना ले, लेकिन जिस मुश्किल दौर से पाकिस्तान की 25 करोड़ अवाम गुजर रही है. उस मुश्किल से उन्हें राहत मिलती फिलहाल दिखाई नहीं देती. जरूरत स्थाई और मजबूत सरकार की है, लेकिन पाकिस्तान की आर्मी कभी ऐसा नहीं चाहेगी.