पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को गोपनीयता का उल्लंघन करने के मामले में मंगलवार (30 जनवरी) को 10-10 साल जेल की सजा सुनाई गई. इस केस को सिफर नाम से जाना जाता है. आठ फरवरी को होने वाले आम चुनाव से पहले सत्ता में लौटने की कोशिश कर रहे इमरान खान के लिए यह एक बड़ा झटका है. जानते हैं यह पूरा ममला क्या है?


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इस मामले का संबंध एक सीक्रेट राजनयिक दस्तावेज (सिफर) के खुलासे से हैं. गौरतलब है कि अप्रैल 2022 में एक अविश्वास प्रस्ताव के जरिए उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया गया था. इसके बाद से खान लगातार यह आरोप लगाते रहे कि उनकी सरकार एक इंटरनेशनल साजिश के तहत गिराई गई. 


कागज दिखाकर किया बड़ा दावा
इमरान खान ने 27 मार्च, 2022 को एक सार्वजनिक रैली में अपनी जेब से एक कागज निकाला. उन्होंने अमेरिका का नाम लेते दावा किया कि यह उनकी सरकार को गिराने की एक ‘अंतरराष्ट्रीय साजिश’ का सबूत है.


खान पर लगे देश के राज उजागर करने के आरोप
हालांकि उनका सार्वजिनक रूप से ऐसा दावा करना उनके लिए मुश्किल बन गया. उन पर देश के सीक्रेट को सार्वजनिक रूप से उजागर करने का आरोप लगा. माना जाता है कि यह डॉक्यूमेंट वाशिंगटन में पाकिस्तानी राजदूत और इस्लामाबाद में विदेश मंत्रालय के बीच एक राजनयिक पत्राचार है.


15 अगस्त को दर्ज किया गया मामला?
संघीय जांच एजेंसी ने खान और कुरैशी के खिलाफ पिछले साल 15 अगस्त को मामला दर्ज किया था, जिसमें दोनों पर मार्च 2022 में वाशिंगटन में पाकिस्तान दूतावास द्वारा भेजे गए केबल को संभालने के दौरान गोपनीयता कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया.


इमरान खान ने किया ये दावा
इमरान खान ने दावा किया कि दस्तावेज इस बात का सबूत है कि उन्हें धमकी दी जा रही थी और उनकी सरकार को हटाना एक अमेरिकी साजिश थी, जिसे कथित तौर पर पाकिस्तानी सरकार और सेना ने अंजाम दिया.


पूर्व पीएम ने अपनी बेगुनाही बरकरार रखते हुए कहा कि उन्होंने दस्तावेज़ की सटीक सामग्री का खुलासा नहीं किया है. दूसरी तरफ अमेरिका और पाकिस्तान सरकार ने आरोपों से इनकार किया है.


खान पर दर्ज हैं बड़ी संख्या में केस दर्ज
सिफर मामला खान के खिलाफ 150 से अधिक लंबित मामलों में से एक है, जिसमें अदालत की अवमानना से लेकर आतंकवाद और हिंसा भड़काने के आरोप तक के अन्य आरोप शामिल हैं.


खान को कुल तीन मामलों में हो चुकी है सजा
सिफर के अलावा खान को तोशानाखाना से जुड़े दो मामलों में सजा हुई है. 5 अगस्त को उन्हें तोशाखाना मामले में दोषी ठहराया गया था और तीन साल की कैद की सजा सुनाई गई थी.  इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने उनकी सजा को निलंबित कर दिया था, हालांकि, बाद में एक खंडपीठ ने दोषसिद्धि को निलंबित करने की मांग करने वाली इमरान की याचिका को खारिज कर दिया था.


इसके अलावा 31 जनवरी को उन्हें तोशाखाना के अन्य मामले में 14-14 साल की सजा सुनाई गई.