वॉशिंगटन: अमेरिका में अवर रक्षा सचिव पद के लिए नामित जॉन सी रूड ने शुक्रवार (17 नवंबर) को कहा कि अमेरिका को इस्लामाबाद से यह स्पष्ट करना चाहिए कि ट्रंप प्रशासन यह बर्दाश्त नहीं करेगा कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाहगाह मुहैया कराए. रूड ने कहा कि आतंकवादी पनाहगाहों पर नजर रखने में पाकिस्तान की नाकामी अफगानिस्तान में अमेरिका के प्रयासों को कमजोर कर रही है जिससे अमेरिका को नए विकल्प तलाशने पड़ रहे हैं. रूड ने अपने नाम की पुष्टि के लिए हुई बहस के दौरान कहा, ‘‘आखिरकार, अमेरिका को पाकिस्तानी सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि हम इस तरह का समर्थन बर्दाश्त नहीं कर सकते जिससे अफगानिस्तान में हमारी कोशिशें कमजोर हों, जहां हमारे सैनिक लड़ रहे हैं तथा इस संघर्ष में हमारे 2,000 से अधिक अमेरिकी मारे जा चुके हैं.’’ वह सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के अध्यक्ष सीनेटर जॉन मैक्केन के एक सवाल का जवाब दे रहे थे.


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रूड ने कहा, ‘‘अगर मेरे नाम की पुष्टि हुई तो मैं उन रास्तों की तलाश करुंगा जिससे अमेरिका आतंकवादी नेटवर्कों के लिए पाकिस्तान में पनाहगाहों का खात्मा कर सकें.’’ एशिया और प्रशांत क्षेत्र के सुरक्षा मामलों के लिए सहायक रक्षा सचिव पद के प्रत्याशी रैन्डल श्राइवर ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि अमेरिका, पाकिस्तान के साथ रचनात्मक संबंध चाहता है जिससे द्विपक्षीय हितों को बढ़ावा मिले जैसे कि आईएस और अल कायदा को हराना लेकिन हमारी पाकिस्तान को लेकर कुछ चिंताएं भी है जिसमें उसका परमाणु कार्यक्रम को बढ़ाना तथा अपने क्षेत्र में आतंकवादी संगठनों को पनाहगाह मुहैया कराना भी शामिल हैं.’’ 


अमेरिकी कांग्रेस ने पास किया $700 अरब का रक्षा बजट, पाकिस्तान पर लगाई गईं सख्त शर्तें


इससे पहले अमेरिका की कांग्रेस ने शुक्रवार (17 नवंबर) को करीब 700 अरब डॉलर का रक्षा बजट पारित किया. इस बजट में अन्य चीजों के अलावा भारत के साथ रक्षा सहयोग में वृद्धि को बढ़ावा देने की बात भी शामिल है. वर्ष 2018 का राष्ट्रीय रक्षा अधिकृत अधिनियम (एनडीएए) कांग्रेस के दोनों सदन- हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स और सीनेट में ध्वनि मत से पारित हो गया. इसे कानून की शक्ल देने के लिए हस्तक्षर के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास भेजा जाएगा.बजट में अमेरिका की ओर से दिए जाने वाले सैन्य और सुरक्षा सहयोग के लिए पाकिस्तान पर सख्त शर्तें भी लगाई गईं हैं. साथ ही अपनी नई दक्षिण एशिया रणनीति को लागू करने के लिए व्हाइट हाउस के अंतिम समय में किए गए वित्तीय अनुरोध को भी जोड़ा गया है.


एनडीएए-2018 में विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री से ऐसी आम परिभाषा निर्धारित करने के लिए भी कहा गया है जो भारत की पहचान “बड़े रक्षा सहोयगी” के तौर पर करे. इस कदम का स्वागत करते हुए शीर्ष रिपब्लिकन सीनेटर टेड क्रूज ने कहा कि 21वीं सदी में की गई कुछ साझेदारियां अमेरिका-भारत साझेदारी से ज्यादा रणनीतिक महत्त्व रखती हैं.


(इनपुट एजेंसी से भी)