इस्लामाबाद : पानी की बर्बाद पूरी दुनिया में बड़ा मुद्दा बनी हुई है. खासकर ऐसे वक्त जब साफ पानी के संसाधन लगातार सिकुड़ते जा रहे हैं. पाकिस्तान भी इससे अछूता नहीं है. ऐसे में पानी के संसाधनों का दोहन और दुरुपयोग करने के मामले में पाकिस्तान की कोर्ट ने मिनरल वॉटर कंपनियों के सभी सीईओ को अदालत में हाजिर होने का फरमान सुना दिया है. यह आदेश देश में जल संसाधन के दोहन से जुड़े एक केस के संबंध में दिया गया है. चीफ जस्टिस मियां साकिब निसार ने पानी की बर्बादी पर कहा कि वह खुद नल का पानी पीते हैं.


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दो जजों की बैंच ने इस मामले में सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट की लाहौर रजिस्ट्री में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस आफ पाकिस्तान निसार ने कहा कि कोर्ट यह देखेगा कि मिनरल वॉटर के अंदर वाकई में मिनरल है या नहीं. वह सुनवाई करने वाली बैंच की अध्यक्षता कर रहे हैं.


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जस्टिस निसार ने कहा कि आरओ कंपनियों को सरकार के साथ बैठकर इस मामले में कीमतें तय करनी चाहिए. सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि ये कंपनियां प्रति लीटर पानी पर सरकार को 25 पैसे देती हैं. वहीं वह खुद इस पानी को 50 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बेचती हैं. इस पर जस्टिस निसार ने कहा कि वह घर में नल का पानी उबाल कर पीते हैं क्योंकि उनके देश में दूसरे लोग भी ऐसे ही पानी पी रहे हैं.


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उन्होंने कहा पाकिस्तान में गरीबों को तालाब का पानी पीना पड़ रहा है. उन्होंने कहा, आज पानी सोने से भी ज्यादा महंगा हो गया है.  उन्होंने कहा कि लोगों को मिनरल वॉटर पीने की आदत लग गई है और प्राकृतिक संसाधनों से पैसे बनाए जा रहे हैं. जस्टिस ने चेतावनी देते हुए कहा, 'हम किसी भी हालत में पानी की चोरी नहीं होने देंगे.' उन्होंने कहा, ये कंपनियां लोगों के पैसे खुद बन जाती हैं और बाद में लोगों को पीछे छोड़ खुद आगे बढ़ जाती हैं.