लंदन: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान दुनिया में लाखों लोगों को रोजी-रोटी से हाथ धोना पड़ा. क्या आम क्या खास कोरोना ने किसी को नहीं छोड़ा. आम नौकरी पेशा से लेकर पायलट तक के वेतनमान पर असर पड़ा. एयरलाइंस कंपनियों ने भी इतने बुरे दिन पहले कभी नहीं देखे थे. ऐसे में कई पायलटों की नौकरी गई तो कुछ की सेलरी में कटौती करनी पड़ी. यूके (UK) के पायलट एरोन लेवेंथल (Aaron Leventhal) पर भी कोरोना का कहर टूटा तो उन्हें मजबूरी में लॉरी ड्राइवर (Lorry Driver) का काम करना पड़ा.


प्लेन छूटा तो संभाली स्टेयरिंग


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नौकरी गई तो एरोन ने हिम्मत नहीं हारी. फ्लायर से ट्रक चालक बने 37 साल के एरोन का मानना है कि वर्तमान संकट और चालकों की कमी होने के कारण अनुभवी ट्रक ड्राइवरों के वेतन में इजाफा हो रहा है. एरोन ने सबसे पहले ट्रक (Truck) चलाने के लिये HGV लाइसेंस लिया. संकट के दौरान बजट एयरलाइन फ्लाईबे (FlyBe) बंद हुई तभी उन्होंने फ्रीलांस ड्राइवर के रूप में काम करने का फैसला किया था. तब उन्हें सुपरमार्केट में फूड आइटम और ईंधन (Fuel) सप्लाई करने को कहा गया था.


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Photo: Aaron Leventhal (Former FlyBe pilot turned Tesco truck driver)


सालाना सैलरी में दस हजार पाउंड का अंतर


द सन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक फ्लाईबे एयरलाइंस में काम करने के दौरान इस पायलट की सैलरी सालाना तीस हजार पाउंड स्टर्लिंग यानी 30 लाख से ज्यादा थी, वहीं आज के दौर में फ्रीलांस ट्रक चालकों को सालाना £ 40,000 पाउंड मिल रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर से जुड़ी कंपनियां ड्राइवरों को ज्यादा सैलरी और सुविधाएं ऑफर करते हुए उन्हें नौकरी देने को बेताब दिख रही हैं जो भविष्य में उनकी सैलरी और भत्ते बढ़ा भी सकती हैं. 


पहले इन लॉरी चालकों को एक घंटे काम करने के नौ पाउंड मिलते थे लेकिन अब उन्हें कम से कम 30 पाउंड प्रति घंटे ऑफिर दिये जा रहे हैं. 


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