कोलंबो: पोप फ्रांसिस ने रविवार को ईस्टर के मौके पर श्रीलंका में हुए हमले को ‘क्रूर हिंसा’ करार दिया और ईसाइयों की खुशी के इस त्यौहार को दुनियाभर में हो रहे रक्तपात और राजनीतिक हिंसा पर अफसोस प्रकट कर मनाया. फ्रांसिस ने ईस्टर प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया लेकिन धर्मोपदेश (पावन ग्रंथ का पाठन) नहीं किया. उन्होंने अपना पारंपरिक भाषण जरूर दिया और पश्चिम एशिया, अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों के संघर्षों का उल्लेख किया एवं राजनीतिक नेताओं से अपने मतभेदों को दूर रखकर शांति के लिए काम करने का आह्वान किया.


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उन्होंने सेंटर पीटर्स बैसिलिका में अपने संबोधन में कहा,‘‘हमें जो शांति प्रदान करते हैं, वह संघर्ष के क्षेत्रों और हमारे शहरों में हथियारों की होड़ समाप्त करें, विभिन्न देशों के नेताओं को खासकर आर्थिक रूप से अधिक उन्नत देशों में हथियारों की होड़, उनके प्रसार को समाप्त करने के लिए प्रेरणा दें.’’


आखिर में अपनी अपील फ्रांसिस ने श्रीलंका के होटलों और गिरजाघरों में ‘भयंकर हमलों’ पर अफसोस प्रकट किया. ये हमले उस वक्त हुए जब ईसाई ईस्टर मना रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘प्रार्थना के लिए एकत्र हुए लोगों और निशाना बनाये गये ईसाई समुदाय तथा ऐसी हिंसा के शिकार सभी लोगों के लिए मैं अपनी हार्दिक संवेदना प्रकट करता हूं.’’


उन्होंने कहा, ‘‘ मैं प्रार्थना करता हूं कि दुखद तरीके से मारे गये सभी लोगों को ईश्वर अपनी शरण में लें. मैं घायलों और इस भयावह घटना के फलस्वरूप पीड़ित सभी लोगों के लिए प्रार्थना करता हूं.’’ श्रीलंका में गिरजाघरों और होटलों में एक साथ हुए धमाकों में करीब 200 लोग मारे गये.