मॉस्कोः रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद जंग (Russia ukraine war) जारी है. एक तरफ जहां रूसी सेना (russia army) लगातार यूक्रेन की राजधानी कीव की तरफ बढ़ रही है. वहीं, रूस के इस कदम के खिलाफ विभिन्न देशों द्वारा प्रतिबंध लगाने का सिलसिला जारी है. दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध के बीच एक शख्स का नाम सामने आ रहा है. ये हैं, यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच (Viktor Yanukovich). मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस यानुकोविच को यूक्रेन की गद्दी पर बैठाने की योजना बना रहा है. 


यानुकोविच को मिल सकती है यूक्रेन की सत्ता


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रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस अगर यूक्रेन को जंग में परास्त कर देता है, तो खुद वहां पर कब्जा नहीं करना चाहेगा. रूस की रणनीति के मुताबिक, विक्टर यानुकोविच (Viktor Yanukovich) को यूक्रेन की सत्ता सौंप सकता है. ऐसे में जंग जीतने के बाद रूस यानुकोविच को यूक्रेन वापस लाकर राष्ट्रपति बनाने की अनौपचारिक घोषणा कर सकता है.


गरीब परिवार में जन्म


बता दें कि विक्टर यानुकोविच का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. उनको युवावस्था में हिंसक अपराधों के लिए 2 बार जेल भेजा गया था. हालांकि, उनकी आधिकारिक जीवनी में कहा गया है कि उनकी सजा को आखिरकार रद्द कर दिया गया था.


मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री


यानुकोविच ने करियर की शुरुआत पूर्वी यूक्रेन में सोवियत संघ के कोयला-खनन उद्योग में की. 20 साल के करियर के दौरान वह मैकेनिक से एग्जिक्‍यूटिव तक बने. इसके बाद कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए और
पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र के गवर्नर बन गए. उन्होंने 1980 में डोनेट्स्क पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट (डोनेट्स्क स्‍टेट टेक्निकल यूनिवर्सिटी) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की.


रूसी भाषियों का मिला सपोर्ट


यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच (Viktor Yanukovich) को हमेशा से पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन के रूसी भाषियों का सपोर्ट मिला. उनको कीव में हमेशा 'मॉस्को के आदमी' के तौर पर देखा जाता था. यही कारण है कि उन्होंने इस छवि को तोड़ने के लिए राष्ट्रपति बनने के बाद रूस की बजाए ब्रसेल्स की यात्रा की थी.


2002 में बने पीएम


साल 2002 में यूक्रेन के राष्ट्रपति लियोनिद कुचमा ने यानुकोविच को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. इसके बाद 2004 के राष्ट्रपति चुनाव के समय यानुकोविच को कुचमा के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाने लगा था. उस समय रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन ने भी उनकी उम्मीदवारी के लिए समर्थन की पेशकश की थी. चुनावी कैंपेन के दौरान उनके विरोधी विक्‍टर यूशचेंकों पर जानलेवा हमला होने के बाद मुकाबले से बाहर हो गए. इसके बाद यानुकोविच को विजयी घोषित कर दिया गया. हालांकि, यूक्रेन की सर्वोच्‍च अदालत ने चुनावी नतीजे को बदल दिया और यानुकोविच हारा घोषित कर दिया गया. इसके बाद वह 2006 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने.


2010 में राष्ट्रपति


इसके बाद यानुकोविच ने 2010 में फिर से प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ा और बेहद कम अंतर से जीत दर्ज की. राष्ट्रपति बनने के बाद उनका रूस के प्रति उनका झुकाव नजर आने लगा. अपनी नियुक्ति से पहले यानुकोविच यूक्रेनी नहीं बोलते थे. अप्रैल 2010 में विक्टर यानुकोविच ने रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के साथ एक समझौता किया और सेवस्तोपोल बंदरगाह के रूस के पट्टे का विस्तार 2042 तक कर दिया.



2014 में छोड़ना पड़ा पद


यानुकोविच 2014 तक यूक्रेन के राष्ट्रपति रहे. इसके बाद यूरोमैदान क्रांति के दौरान यानुकोविच की सरकार को उखाड़ फेंक दिया गया था. विक्टर ने 2013 में यूरोपीय संघ के एसोसिएशन एग्रिमेंट को खारिज कर दिया, जिसके बाद विरोध-प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हुआ था. इसके बाद यानुकोविच को पद से हटा दिया गया, उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. इसके बाद यानुकोविच ने रूस में जाकर शरण ली थी.


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