Russia Ukraine War: रशिया-यूक्रेन के बीच युद्ध का शुक्रवार को दूसरा दिन रहा. रशिया की सेना, शुक्रवार को यूक्रेन की राजधानी कीव के अन्दर तक पहुंच गई और अब उसने रिहायशी इलाकों और आम नागरिकों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है. 


राजधानी कीव में पहुंचे रूसी टैंक


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यूक्रेन और रशिया के बीच युद्ध छिड़े अब तक कई घंटे हो चुके हैं. रशिया का दावा है कि उसने उत्तरी यूक्रेन, पूर्वी यूक्रेन और उत्तर पूर्वी यूक्रेन के ज्यादातर इलाक़ों पर अपना नियंत्रण मजबूत कर लिया है. यूक्रेन ने भी बताया है कि रशिया की सेना और उसके Tanks, राजधानी कीव में पहुंच चुके है और उत्तरी कीव के इलाक़ों में रशिया की तरफ़ से रॉकेट हमले किए गए हैं. हालांकि यूक्रेन का दावा है कि उसने कई रॉकेट को हवा में ही मार गिराया है और रशिया के कुछ Tanks को भी उसने नष्ट करने की बात कही है.


इस संघर्ष के बीच रशिया ने यूक्रेन के Chernobyl (चेर्नोबिल) में Nuclear Power Plant पर कब्जा कर लिया है. ये वही Nuclear Power Plant है, जहां वर्ष 1986 में अब तक का सबसे बड़ा परमाणु हादसा हुआ था. यूक्रेन के विदेश मंत्रासल ने जानकारी दी है कि रशिया की सेना ने चेर्नोबिल शहर पर अपने नियंत्रण को बरकरार रखने के लिए और यूक्रेन की सेना से निपटने के लिए इस Power Plant का Radiation Level बढ़ा दिया है, जो सामान्य तौर पर 3 हज़ार के आसपास होता है. वह अब 90 हजार के पार हो गया है. हालांकि रशिया ने कहा है कि Radio-Active Dust की वजह से ये रेडिएशन स्तर बढ़ा है.


1986 में चेर्नोबिल प्लांट में हुआ था विस्फोट


यहां एक आपके लिए एक जानकारी ये है कि, सोविय संघ के आख़िरी नेता, Mikhail Gorbachev (मिखाइल गोर्बोचोफ़) ने वर्ष 1986 की इस दुर्घटना को सोवियत संघ के विघटन का सबसे बड़ा कारण माना था. इस दुर्घटना ने ये धारणा बना दी थी कि सोवियत संघ, तकनीकी विकास में पश्चिमी देशों से बहुत पीछे छूट गया है और वो अपने एक Nuclear Power Plant की रक्षा करने में भी सक्षम नहीं है.


Chernobyl (चेर्नोबिल) शहर के अलावा पूर्वी यूक्रेन में भी इस समय काफ़ी तनाव है. वहां लगातार बम धमाकों की आवाज़ सुनी जा रही है. Marioupol (मैरीपोल) में शुक्रवार को की ओर से मिसाइल हमला किया गया, जिसमें एक रिहायशी इमारत को काफ़ी नुकसान पहुंचा है. यूक्रेन के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया है कि अब तक इस युद्ध में उनके 57 नागरिकों की जान जा चुकी है. जबकि 169 लोग घायल हुए हैं.



यूक्रेनी राष्ट्रपति बंकर में शिफ्ट किए गए


इस समय रशिया की सेना, राजधानी कीव में यूक्रेन की सेना से लड़ रही है. ख़तरे को देखते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को एक खुफिया बंकर में शिफ्ट कर दिया गया है. ताकतवर रशिया की सेना जहां यूक्रेन में तबाही मचा रही है. वहीं यूक्रेन की सेना, ताकत में रशिया से कमज़ोर होते हुए भी डट कर मुकाबला कर रही है.


जिस समय रशिया के Tanks राजधानी कीव के एक इलाक़े में घुसने की कोशिश कर रहे थे, उस समय वहां यूक्रेन का एक सैनिक विस्फोटक के साथ अकेला मौजूद था. उसने इन Tanks को उस इलाक़े में जाने से रोकने के लिए एक झील पर बने पुल पर खुद को बम से उड़ा लिया, जिससे रशिया के Tanks इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सके. सोचिए, यूक्रेन के इस सैनिक ने कितनी बहादुरी दिखाई होगी.


यूक्रेन के सैनिकों की बहादुरी की एक ओर कहानी Snake Island से बाहर आई. ये Island क्राइमिया के पास Black Sea में मौजूद है और इसे Zmiinyi (ज़िमनी) Island के नाम से भी पहचाना जाता है. यहां जब रशिया की सेना ने हमला किया तो यूक्रेन के कुल 13 सैनिक यहां मौजूद थे. हमले से पहले चेतावनी देते हुए रशिया के सैनिकों ने कहा कि अगर यूक्रेन के सैनिकों ने सरेंडर नहीं किया तो वे जान से मारे जाएंगे. लेकिन आपको पता है इसके बाद यूक्रेन के इन सैनिकों ने क्या कहा, उन्होंने रशिया के सैनिकों को कहा, भाड़ में जाओ और इसके बाद ये सभी 13 जवान मारे गए.


रूस के दो हेलीकॉप्टर मार गिराए गए


यूक्रेन का दावा है कि उसने शुक्रवार को भी रशिया के दो और हेलिकॉप्टर को मार गिराया. साथ ही उसके रॉकेट हमलों को भी नाकाम कर दिया.


अब यूक्रेन में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया है, जिसके तहत 18 से 60 साल के पुरुष नागरिकों को भी सेना के साथ युद्ध में जाना होगा. वहां के आम लोग, खुशी खुशी अपने देश के लिए जान देने को तैयार हैं. भारत के लोगों को यूक्रेन के लोगों से ये सीखना चाहिए कि एक सच्चा नागरिक, देश के लिए टैक्स भी देता है और ज़रूरत पड़ने पर जान भी देता है. हमारे देश में अक्सर ये मान लिया जाता है कि देश की सीमाओं की रक्षा करना सिर्फ़ सेना का काम है. आम नागरिक घर बैठे अपनी सुरक्षा को अपना मौलिक अधिकार मानने लगते हैं.


ऐसी बहुत सारी भावुक तस्वीरें सामने आईं हैं, जहां यूक्रेन के पुरुष, अपने परिवार और बच्चों को बसों मे बैठा कर सुरक्षित जगहों पर भेज रहे हैं और खुद वहीं रुक कर रशिया की सेना के साथ लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. ये तमाम लोग नहीं जानते कि अब वो दोबारा अपने परिवार से मिल पाएंगे या नहीं.


परिवारों को दूर भेज रहे हैं पुरुष


ऐसे ही एक वीडियो में जब एक पिता जब अपनी बच्ची और पत्नी को शहर से बाहर सुरक्षित जगह पर भेजने के लिए एक बस में बैठाने के लिए पहुंचा तो उसकी आंखें नम थीं. शायद वो ये सोच रहा था कि इसके बाद वो अपनी बच्ची और पत्नी को फिर कभी देख पाएगा या नहीं. सोचिए, युद्ध की त्रासदी और इसकी पीड़ा कितनी भयानक होती है. एक पिता, जो कि यूक्रेन का आम नागरिक है, उसे अपने देश की रक्षा करने के लिए अपने परिवार से अलग होना पड़ा और अब वो इस संकट में अपने देश के आत्मसम्मान के लिए लड़ेगा. 


अब आप सोचिए, हमारे देश में आपको ऐसे कितने लोग मिलेंगे, जो अपने देश की रक्षा करने के लिए अपने परिवार को इस तरह छोड़ने के लिए तैयार होंगे. वो शायद ऐसे किसी भी नियम और कानून को मानने से इनकार कर देंगे और कहेंगे कि देश की रक्षा की ज़िम्मेदारी तो सेना और सुरक्षाबल के जवानों की है, वो क्यों अपना घर और अपना परिवार छोड़ें. लेकिन यूक्रेन में ऐसा नहीं है. यूक्रेन में लोग, अपने दिल पर पत्थर रख कर अपने परिवारों से अलग भी हो रहे हैं और बिना कोई ट्रेनिंग के, रशिया के ख़िलाफ़ हथियार उठा कर खड़े हो गए हैं.


यूक्रेन ने नागरिकों को बांटी राइफलें


शुक्रवार को ही यूक्रेन ने राजधानी कीव में आम नागरिकों को 10 हज़ार Assault Rifle दी गई हैं. यानी इस संकट में अब सिर्फ़ यूक्रेन की सेना, रशिया से नहीं लड़ रही, बल्कि यूक्रेन के आम नागरिक, यानी हमारे और आपके जैसे लोग भी सर्वोच्च बलिदान देने के लिए तैयार हैं.


हालांकि रशिया के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि यूक्रेन, अपने देश के नागरिकों को हथियार देकर इस युद्ध में उन्हें Human Shield की तरह इस्तेमाल कर रहा है. उनका यह भी कहना है कि रशिया की सेना, यूक्रेन की सेना का मुकाबला नहीं कर रही है बल्कि उसका सामना राष्ट्रवादी Neo नाज़ी और राष्ट्रवादी Groups से भी है.


इस समय यूक्रेन की राजधानी कीव और दूसरे इलाक़ों में लोग बमबारी से बचने के लिए Bunkers और Subway में शरण ले रहे हैं.


बंकरों की शरण लेने को मजबूर लोग


Marioupol (मैरीपोल) में बंकर के अन्दर छिपे परिवारों की कहानी वहां पर चार साल की एक बच्ची की आंखों मे आंसू बह निकले. सोचिए उस बच्ची की क्या गलती थी. क्या वो बच्ची युद्ध चाहती थी या इसे पता होगा कि उसके देश में, उसके घर में क्या हो रहा है?


हमारे देश में भी बहुत सारे लोग राष्ट्रीय मुद्दों की गम्भीरता को नहीं समझते. उन्हें लगता है कि चीन, भारत सरकार का दुश्मन है और पाकिस्तान और वहां से आने वाले आतंकवादियों से लड़ने की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ सेना की है. वो केवल सुबह अखबार में ख़बर पढ़ेंगे और अपनी रोजमर्रा की ज़िन्दगी में जुट जाएंगे. लेकिन यूक्रेन के इन नागरिकों की पीड़ा को समझिए कि कैसे जब कोई देश हमला कर देता है तो उस पूरे देश को लड़ना पड़ता है.


यूक्रेन की पुतिन से युद्ध रोकने की अपील


उधर पिछले 24 घंटे में यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का पहनावा बदल गया है. गुरुवार को जब वो रशिया के हमले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए थे तो उन्होंने कोट पहना हुआ था. लेकिन आज जब वो प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए आए तो वो टी-शर्ट में थे. इससे आप समझ सकते हैं कि ज़ेंलेंस्की पर कितना दबाव है और ये दबाव आज उनके बयान में भी साफ़ दिखाई दिया. उन्होंने रशिया के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अपील करते हुए कहा कि उन्हें अब भी पुतिन से बात करने का इंतज़ार है और वो चाहते हैं कि ये युद्ध अब रोक दिया जाए.


इसके अलावा अब ज़ेलेंस्की का NATO देशों से भी मोहभंग हो चुका है. उन्होंने शुक्रवार को खुलेआम ये शिकायत की कि NATO देशों ने वादे तो बड़े बड़े किए थे, लेकिन वो मदद के लिए नहीं आए. दूसरी तरफ़ NATO देश, हमेशा की तरह युद्ध के दूसरे दिन भी चुपचाप तमाशा देखते रहे. वे यूक्रेन को कहते रहे कि सैन्य मदद को छोड़ कर वो कोई भी मदद करने के लिए तैयार हैं. यानी वो यूक्रेन को नैतिक समर्थन तो दे रहे हैं, लेकिन सैन्य मदद देने को तैयार नहीं है.


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रूस ने यूक्रेन को सरेंडर के लिए कहा


हालांकि रशिया के राष्ट्रपति पुतिन ने स्पष्ट कर दिया है कि ये युद्ध तब तक नहीं रुकेगा, जब तक यूक्रेन सरेंडर नहीं करता. पुतिन ने रशिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने वाले देशों को भी कड़े शब्दों में चेतावनी दी है और कहा है कि जो देश रशिया की कार्रवाई के बीच में आएंगे, उनके ख़िलाफ़ रशिया ऐसे कदम उठाएगा, जिन्हें इतिहास भी याद रखेगा.


अब आप पूछेंगे कि युद्ध को दो दिन हो चुके हैं तो दुनिया की बड़ी बड़ी महाशक्तियां क्या कर रही हैं? हम आपको बताते हैं कि पोलैंड, ब्रिटेन और Finland जैसे देशों ने शुक्रवार को यूक्रेन को आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है. Finland ने 50 Million Dollar यानी 375 करोड़ रुपये और United Nations ने 20 Million Dollar यानी 150 करोड़ रुपये की मदद देने का ऐलान किया है.  इसके अलावा एक अपडेट ये है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रशिया के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की है.