शियाओं के लिए क्यों खास है सीरिया की मजार? असद को छोड़ इसे बचाने पहुंचे कई लड़ाके
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Syria News: सीरिया में तख्तापलट और राष्ट्रपति बशर अली असद का शासन खत्म होने से शिया संकट में आ गए हैं. लेकिन शियाओं ने असद को बचाने की बजाय सीरिया में दमिश्क स्थित एक मजार को सुरक्षित रखने में ज्यादा है.
Syria Civil War: सीरिया में डेढ़ दशक से चल रहा गृहयुद्ध तख्तापलट के साथ खत्म हो गया है. राष्ट्रपति बशर अली असद के लिए कहा जा रहा है कि उनका प्लेन क्रैश हो गया है. वे देश छोड़कर भाग रहे थे. वहीं असद का परिवार भी सीरिया छोड़ चुका था. असद और उनके परिवार ने लंबे समय तक सीरिया पर शासन किया. अपनी सत्ता बचाने के लिए उन्होंने शिया का सहारा लिया. वहीं अब उनका शासन खत्म होने से शियाओं के लिए सीरिया में बड़ा संकट खड़ा हो गया है. लेकिन शियाओं ने विद्रोहियों से असद को बचाने की बजाय यहां की एक मजार को बचाने में ज्यादा दिलचस्पी ली.
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दमिश्क में है सैयदा जैनब की मजार
सीरिया में असद सरकार का खत्म होना सीरिया और पड़ोसी देशों के शिया मुसलमानों के लिए बहुत खतरनाक है क्योंकि सुन्नी अब इनको नहीं बख्सेंगे. लेकिन इस बीच शियाओं को सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि इस युद्ध में सैयदा जैनब की मजार को नुकसान ना पहुंचे. इसलिए हथियारों से लैस शिया लड़ाके मजार के आसपास तैनात रहते हैं. इनमें लेबनानी गुट हिजबुल्लाह के लड़ाके भी शामिल हैं. शिया लड़ाकों का कहना है कि सैयदा जैनब के रौजे की हिफाजत उनका फर्ज है.
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कौन हैं सैयदा जैनब?
सैयदा जैनब, पैगंबर मोहम्मद की बेटी फातिमा और अली की बेटी हैं. यानी कि सैयदा जैनब पैगंबर मोहम्मद की नवासी हैं. शिया मुसलमानों का मानना है कि दमिश्क में स्थित सैय्यद जैनब मस्जिद ही वह जगह है, जहां जैनब दफन हैं. ये शिया मुस्लिम तीर्थयात्रियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है. जहां हर साल बड़ी संख्या में शिया मुस्लिम पहुंचते हैं.
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ये है डर की वजह
दरअसल, असद शासन से लड़ रहे सीरिया के विद्रोही गुट सलाफी विचारधार के हैं. ये लोग मजारों को नहीं मानते हैं, ऐसे में शियाओं को डर है कि कहीं वे सैयद जैनब की मजार को नुकसान ना पहुंचा दें.