तीसरी बार अंतरिक्ष में जाएंगी सुनीता विलियम्स, क्या स्पेस में बजेगा बोइंग स्टारलाइनर का डंका!
Sunita Williams News: नासा ने 1988 में सुनीता विलियम्स को बतौर एस्ट्रोनॉट चुना था और उनके पास दो स्पेस प्रोग्राम्स का अनुभव है. उन्होंने एक्स्पीडिशन 32 की फ्लाइट इंजीनियर और एक्स्पीडिशन 33 की कमांडर के तौर पर काम किया है.
भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स तीसरी बार स्पेस में जाने के लिए तैयार हैं. 58 साल की सुनीता मंगलवार को स्पेस के लिए उड़ान भरेंगी. बोइंग का स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट उन्हें और बुच विलमोर को लेकर फ्लोरिडा में केप केनवेरल के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से उड़ान भरेगा.
स्पेसक्राफ्ट सोमवार को स्थानीय समयानुसार रात 10:34 बजे (मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय समयानुसार 8:04 बजे) रवाना होगा. बीबीसी ने विलियम्स के हवाले से कहा, 'हम सभी यहां हैं क्योंकि हम सभी तैयार हैं. हमारे दोस्तों ने इसके बारे में सुना है और हमने इसके बारे में बात की है और वे खुश और गर्व से भरे हैं कि हम इस प्रोसेस का हिस्सा हैं.' स्पेसक्राफ्ट के डेवलपमेंट में कई झटकों के कारण इस अभियान में कई सालों की देरी हुई है.
कामयाब हुआ तो बन जाएगा इतिहास
अगर यह कामयाब हो जाता है तो एलन मस्क की 'स्पेसएक्स' के साथ यह दूसरी प्राइवेट कंपनी बन जाएगी जो क्रू मेंबर्स को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक ले जाने और वापस ला पाएगी.
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने 22 मार्च को स्टारलाइनर के आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में कहा था, 'इतिहास बनने जा रहा है. हम स्पेस रिसर्च के स्वर्ण युग में हैं.
सुनीता विलियम्स की कामयाबी का सफर
नासा ने 1988 में सुनीता विलियम्स को बतौर एस्ट्रोनॉट चुना था और उनके पास दो स्पेस प्रोग्राम्स का अनुभव है. उन्होंने एक्स्पीडिशन 32 की फ्लाइट इंजीनियर और एक्स्पीडिशन 33 की कमांडर के तौर पर काम किया है.
पहली स्पेस जर्नी एक्स्पीडिशन 14/15 के दौरान विलियम्स ने 9 दिसंबर 2006 को एसटीएस-116 के क्रू मेंबर्स के साथ उड़ान भरी थी और 11 दिसंबर 2006 को वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचीं.
पहली अंतरिक्ष जर्नी में उन्होंने अंतरिक्ष में कुल 29 घंटे और 17 मिनट की चार बार चहलकदमी करने के साथ महिलाओं के लिए वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. इसके बाद एस्ट्रोनॉट पेग्गी व्हिटसन ने स्पेस में कुल पांच बार चहलकदमी कर 2008 में यह रिकॉर्ड तोड़ दिया था.
एक्स्पीडिशन 32/33 में विलियम्स ने रूसी सोयुज कमांडर युरी मालेनचेंको और जापान एयरोस्पेस एक्स्प्लोरेशन एजेंसी की फ्लाइट इंजीनियर अकीहिको होशिदे के साथ कजाखस्तान के बैकोनूर कोस्मोड्रोन से 14 जुलाई 2012 को अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी.
उस वक्त विलियम्स ने लैब के चक्कर लगाते हुए रिसर्च और खोज में चार महीने का वक्त बिताया था. वह स्पेस में 127 दिन का वक्त बिताने के बाद 18 नवंबर 2012 को कजाखस्तान पहुंची थीं.
अपने प्रोजेक्ट के दौरान विलियम्स और होशिदे ने तीन बार अंतरिक्ष की चहलकदमी की और स्टेशन के रेडिएटर से अमोनिया के रिसाव को ठीक किया.
स्पेस में 50 घंटे और 40 मिनट की चहलकदमी के साथ विलियम्स ने एक बार फिर किसी महिला एस्ट्रोनॉट का स्पेस में सबसे लंबे समय तक चहलकदमी करने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया. विलियम्स ने अंतरिक्ष में कुल 322 दिन बिताए हैं.
विलियम्स का ऐसा रहा सफर
विलियम्स का जन्म ओहायो के यूक्लिड में भारतीय-अमेरिकी न्यूरोएनाटॉमिस्ट दीपक पांड्या और स्लोवेनियाई-अमेरिकी उर्सुलिन बोनी पांड्या के घर हुआ था.
उन्होंने यूएस नेवल एकेडमी से फिजिक्स की डिग्री ली और फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की.