Three Gorges Dam News: हुबेई प्रांत में यांग्त्ज़ी नदी पर बना विशाल थ्री गॉर्जेस बांध एक बार फिर चर्चा में आ गया है. कई मीडिया रिपोट्स में दावा किया गया कि इसकी वजह से पृथ्वी की रोटेशन प्रभावित हो रही है.  क्या यह वास्तव में पृथ्वी की रोटेशन को बदल रहा है? रिपोर्ट्स बताती हैं कि बांध समुद्र तल से 175 मीटर ऊपर पानी को रोके रखता है, जिसका वजन 39 ट्रिलियन किलोग्राम से अधिक है. यह भारी वजन जड़त्व आघूर्ण (Moment of Inertia) के कारण पृथ्वी के रोटेशन को प्रभावित करता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इसको आसान शब्दों में इस तरह समझा जा सकता है कि कोई पिंड अपनी धुरी से जितना दूर होता है, उसका जड़त्व आघूर्ण उतना ही ज्यादा होता है, जो बदले में घूर्णन (घूमने की) स्पीड को धीमा कर देता है.


जड़त्व आघूर्ण क्या है? यह 'एक राशि है जो एंगुलर एक्सीलरेशन का प्रतिरोध करने की किसी पिंड की प्रवृत्ति को व्यक्त करती है, जो पिंड में प्रत्येक कण के द्रव्यमान और घूर्णन अक्ष से उसकी दूरी के वर्ग के गुणनफल का योग है.'


क्या बदलाव हुआ है?
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मीडियम ने बताया कि समुद्र तल से ऊपर पानी का विशाल द्रव्यमान हमारी पृथ्वी के जड़त्व आघूर्ण को बढ़ाता है, लेकिन इसके रोटेशन में परिवर्तन मात्र 0.06 माइक्रोसेकंड है. यानी, हमारे पास अब ऐसे दिन हैं जो केवल 0.06 माइक्रोसेकंड लंबे हैं.


बांध के कुछ सकारात्मक प्रभाव भी हुए, जैसे बाढ़ को नियंत्रित करना और भारी मात्रा में बिजली पैदा करना. हालांकि, इसके निर्माण के लिए 1.2 मिलियन लोगों को मजबूरन अपना घर बदलना पड़ा.  जलाशय के कटाव से इसके पानी में रहने वाले हजारों कीट और मछली की प्रजातियां प्रभावित हुई हैं.


रिपोर्ट के मुताबिक नासा के वैज्ञानिकों ने पाया है कि प्राकृतिक आपदाओं और चंद्रमा के प्रभाव जैसी घटनाओं के कारण पृथ्वी का रोटेशन में कभी-कभी उतार-चढ़ाव आता है. इसलिए, बांध के कारण होने वाला परिवर्तन चीजों की बड़ी योजना में अपेक्षाकृत महत्वहीन है. हालांकि, हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि थ्री गॉर्जेस बांध आज तक की एकमात्र मानव निर्मित वस्तु है जो पृथ्वी के घूर्णन को अकेले प्रभावित करने की क्षमता रखती है.


1994  में शुरू हुआ था निर्माण
थ्री गॉर्जेस डैम, का निर्माण1994 में आधिकारिक तौर पर शुरू हुआ. उस वक्त यह चीन की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग परियोजना थी। 2006 में इसके पूरा होने के समय, यह दुनिया की सबसे बड़ी बांध संरचना थी. बांध और उसके साथ लगे पनबिजली संयंत्र का निर्माण कई चरणों में और कई वर्षों के दौरान किया गया. यह 2012 में अपनी पूरी उत्पादन क्षमता पर पहुंच गया. बांध समुद्री मालवाहकों के आवागमन की अनुमति देता है और पनबिजली पैदा करता है. इसका उद्देश्य बाढ़ से सुरक्षा प्रदान करना भी था, लेकिन इस बिंदु पर प्रभावकारिता स्पष्ट नहीं है और इस पर बहस जारी है. 


Photo courtesy - Reuters