US Airforce: परमाणु बम बहुत खतरनाक होते हैं. ये बम न्यूक्लियर हथियारों का एक प्रकार होते हैं और इनका उपयोग मानवता को तबाह करने के लिए काफी होता है. इनके नुकसान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका ने परमाणु बम से हमला किया और इन दोनों विस्फोटों के कारण लगी बड़ी आग से हिरोशिमा में लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत तो कुछ ही समय में हो गई थी. इसके बाद वहां का जो मंजर दुनिया ने देखा वह मानवता के इतिहास में कभी नहीं हुआ है. अब आप सोचिए कि ऐसा ही कोई परमाणु बम अगर लापता हो गया हो तो कितनी डरने वाली स्थिति है. साथ ही यह भी चौंकाने वाली बात होगी कि यह कैसे गायब हो गया होगा.


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क्या है इसके पीछे की कहानी?
दरअसल, अमेरिकी वायुसेना द्वारा एक ऐसा ही बम काफी पहले गायब हुआ था जिसका पता अभी तक नहीं चल पाया है. यह सब तब हुआ था जब 5 फरवरी 1958 में एक ट्रेनिंग के दौरान दो अमेरिकी वायुसेना के विमान टकरा गए. उनमें से एक बमवर्षक था. इसके बाद उस विमान के पायलट ने पाया कि परमाणु बम जितना वजन लेकर वे रनवे पर उतर नहीं पाएंगे. इसलिए रिचर्डसन नामक पायलट ने 7200 फीट से परमाणु बम को समुद्र में गिरा दिया. यह घटना जहां हुई वह जगह जॉर्जिया के टीबी आईलैंड के पास हुई थी. 


अभी तक नहीं चल पाया
जॉर्जिया के टीबी आईलैंड में गिरा मार्क 15 थर्मोन्यूकिलयर बम आज तक नहीं मिल पाया है. बाद में पायलट ने कहा कि उन्हें बम गिराने का दुख था. लेकिन उनके पास कोई चारा नहीं था. नहीं गिराते तो पूरा एयरबेस और शहर बर्बाद हो सकता था. घटना के बाद अमेरिका ने अपनी पूरी ताकत इस बम का पता लगाने में झोंक दी थी लेकिन उस बम का कहीं अता पता नहीं चल पाया था. बाद में पूरी दुनिया ने चिंता जताई तो अमेरिकी बायुसेना ने यह जवाब दिया था कि किसी तरह के विस्फोट या रेडियोएक्टिविटी की आशंका नहीं है क्योंकि बम पूरी तरह से असेंबल नहीं था.


लंबा-चौड़ा सर्च ऑपरेशन
यहां तक कि अमेरिकी सरकार दूसरे विश्व युद्ध में जापान पर गिराए गए बम को लेकर घबराई थी, इस वजह से भी लंबा-चौड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया गया था, जिसके लिए भारी पैसे भी खर्च हुए थे, लेकिन बम का सुराग नहीं मिल पाया था. कुछ साल पहले एक बार फिर इसका पता लगाने की कोशिश की गई लेकिन इसका सुराग नहीं मिला.