Mother without marriage: दुनिया में कई ऐसे इस्लामिक देश हैं जहां आज भी कट्टरपंथियों का फरमान देश के कानून से ऊपर है. ऐसे देशों में मॉरल पुलिसिंग के नाम पर लोगों को सरे आम कोड़े लगाने से लेकर तरह-तरह की सजा दी जाती हैं. पाकिस्तान में तो लोग पुलिस की परवाह किए बगैर खुद ही जज बनकर ऑन स्पॉट फैसला सुना देते हैं. आंकड़ों के हिसाब से इस्लाम दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मजहब है. यानी दुनिया की लगभाग 25% आबादी मुस्लिम है. हालांकि इन देशों में कुछ देश उदार भी हैं जहां न सिर्फ अपने मजहब और देश के लोगों बल्कि दूसरे देशों और दूसरे धर्म के मानने वालों के साथ भी उदारता बरतने के साथ समान व्यवहार किया जाता है.


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आजाद ख्याल देश में दूसरे मजहब वालों को आजादी


यहां बात भारत के बेहद करीबी इस्लामिक देश यूएई (UAE) की जहां पिछले दिनों एक कानून बनाया गया है जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. दरअसल यूएई में इस कानून में यहां रह रहे विदेशी लोगों को और अधिक धार्मिक आजादी और उनके हिसाब से जीने की स्वतंत्रता दी गई है. आप इसी से अनुमान लगा सकते हैं कि यहां पर रहने वाले दूसरे देशों और दूसरे मजहब को मानने वाली बिन ब्याही लड़कियों को भी मां बनने की इजाजत दे दी गई है.


गैर-मुस्लिम लोगों के लिए ‘फेडरल पर्सनल स्टेटस लॉ’ 


संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में इस कानून को आज की दुनिया की जरूरतों के हिसाब से इतना उदार कर दिया गया है कि आप अमेरिका या फिर यूरोप के किसी देश से इस कानून की तुलना कर सकते हैं. इसमें यूएई में रह रहे गैर मुस्लिम लोगों की शादी, तलाक, बच्चे की कस्टडी, संपत्ति पर अधिकार, विल आदि को लेकर बेहद उदार नजरिया अपनाया गया है.


कैसे हुआ बदलाव?


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये नया कानून 1 फरवरी 2023 से प्रभावी होने जा रहा है. इन सुधारों को 27 नवंबर 2021 को मंजूरी दी गई थी. उस वक्त यहां के शेख दिवंगत बिन जायेद अल नहयान थे, जिन्होंने उस समय यूएई के करीब 40 कानूनों में बदलाव किया था. तब इसे अरब देशों के इतिहास में एक सबसे बड़ा सुधार करार दिया गया था. इसलिए आज इस दुनिया के सबसे विकसित मुस्लिम देशों में से एक यूएई की दरियादिली और आजाद ख्याली की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है.


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