लंदन: काबुल हवाईअड्डे पर हुए आत्मघाती हमले (Kabul Airport Blast) को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन (US & UK) में ठन गई है. अमेरिका का कहना है कि ब्रिटेन की जिद के चलते हमला हुआ, जिसमें उसके 13 जवान सहित 170 लोगों की मौत हुई थी. पेंटागन के लीक हुए दस्तावेजों में कहा गया है कि यदि ब्रिटेन एयरपोर्ट का गेट (Airport Gate) बंद करने पर राजी हो जाता तो इतने लोगों की जान नहीं जाती. बता दें कि ब्रिटिश और यूएस आर्मी के अफगानिस्तान (Afghanistan) छोड़ने से पहले ये हमला हुआ था, जिसकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने ली थी.


US ने जताई थी हमले की आशंका 


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डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, लीक डाक्यूमेंट्स (Leaked Documents) में कहा गया है कि अमेरिका ने ब्रिटिश सैनिकों से एयरपोर्ट का गेट बंद करने का कई बार आग्रह किया, लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी. यूएस के बार-बार खतरे की आशंका जताने के बावजूद ब्रिटेन गेट खुला रखने पर अड़ा रहा, ताकि उसका रेस्क्यू मिशन तेजी से चलता रहे और इसी के चलते आतंकियों को आत्मघाती हमले का मौका मिल गया. 


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UK ने नहीं दिया कोई ध्यान   


लीक दस्तावेजों में बताया गया है कि पेंटागन (Pentagon) को काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बड़े हमले की आशंका थी. उसने हमले से 24 घंटे पहले हुई बैठक में स्पष्ट शब्दों में कहा था कि एयरपोर्ट के Abbey Gate पर सबसे ज्यादा खतरा है, इसलिए गेट को बंद रखा जाना चाहिए. इसके अलावा, हमले वाले दिन भी Conference Call में अमेरिका ने गेट बंद रखने की बात दोहराई थी, लेकिन ब्रिटेन ने उसकी चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया. 


Warning के 6 घंटे बाद हुआ हमला


ब्रिटिश सैनिकों ने हवाईअड्डे के पास स्थित Baron Hotel को अपना बेस बनाया हुआ था और वो चाहते थे कि एयरपोर्ट गेट खुला रहे, ताकि वो जल्द से जल्द लोगों को अफगानिस्तान से निकाल सकें. पेंटागन का कहना है कि उसकी चेतावनी के छह घंटे बाद ही ISIS-K ने एयरपोर्ट पर आत्मघाती हमला बोल दिया था, जिसमें 13 यूएस सैनिकों सहित 170 के आसपास लोगों की मौत हुई. अमेरिका के इस आरोप पर ब्रिटेन की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. उसकी तरफ से केवल यही कहा गया है कि पूरे ऑपरेशन के दौरान दोनों देशों ने मिलकर काम किया.


Family लेने आए ड्राइवर की मौत 


वहीं, हमले के पीड़ितों ने अमेरिकी सैनिकों पर निर्दोष लोगों को मारने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि आत्मघाती हमले के बाद हवाईअड्डे में मौजूद यूएस सैनिक घबरा गए और उन्होंने लोगों पर गोलियां चलाना शुरू कर दिया, जो तालिबान से बचने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे थे. इस गोलीबारी में एक ब्रिटिश नागरिक सहित कई निर्दोष लोगों की जान चली गई. मृतकों में लंदन निवासी टैक्सी ड्राइवर मुहम्मद नियाजी भी शामिल थे, जो अपने परिवार को काबुल से बाहर निकालने के लिए वापस अफगानिस्तान आए थे. विस्फोट में उनकी पत्नी की भी मौत हो गई और दो बच्चे अभी भी लापता हैं.