China's Expansionist Policy: चीन अपनी आक्रमक विस्तारवादी नीति से महाशक्तिशाली अमेरिका को सीधी चुनौती दे रहा है. हालांकि चीन की इस नीति से भारत समेत उसके अन्य पड़ोसी देश भी परेशान है. ऐसे में चीन से मुकाबले के लिए अमेरिका को भारत का साथ सबसे ज्यादा फायदा पहुंचा सकता है.


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वाशिंगटन स्थित द हिल अखबार के अनुसार दोनों देशों के बीच रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ रही है और 2020 से भारत चीनी सेना के अड़ियल रवैये का सामना कर रहा है. इससे इंडो-पैसिफिक रीजन में एक जैसी विचारधारा वाले सहयोगियों के बीच नजदीकियां और बढ़ी हैं. वहीं भारत में मौजूदा सरकार के तहत पूंजीवाद को बढ़ावा मिलता दिख रहा है.


सीनेट की विदेश मामलों की रिपोर्ट में भारत का जिक्र
सीनेट की विदेश मामलों से संबंधित समिति की एक रिपोर्ट में भी भारत का जिक्र प्रमुखता से किया गया है.  डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा जारी रिपोर्ट में एक मजबूत और लोकतांत्रिक भारत का समर्थन करने का आह्वान किया गया है.


रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और चीन भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार बनने की होड़ करते हैं.  रिपोर्ट में कहा गया, ‘दरअसल, दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंध दो दशकों से अधिक समय से काफी बेहतर स्थिति में हैं. दोनों देशों के संबंध शीतयुद्ध की दुश्मनी, भारत के परमाणु कार्यक्रम और 1998 में परमाणु परीक्षण को लेकर उत्पन्न मतभेद से ऊपर उठ चुके हैं.’


'दोनों देश चीन के कदमों को लेकर अधिक चिंतित'
रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के वर्षों में सुरक्षा संबंध नाटकीय रूप से गहरे हुए हैं, क्योंकि दोनों देश चीन के कदमों को लेकर अधिक चिंतित हैं.


इसमें कहा गया है, ‘अमेरिका और भारत अब प्रमुख रक्षा साझेदार हैं और दोनों देशों ने क्वांटम कंप्यूटिंग, 5जी और 6जी नेटवर्क, अंतरिक्ष, सेमीकंडक्टर, बायोटेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण तथा उभरती प्रौद्योगिकियों की दिशा में एक नई पहल की है.’


गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के साथ अमेरिका ने 2017 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये का मुकाबला करने के लिए ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय संवाद समूह) स्थापित करने संबंधी प्रस्ताव को आकार दिया था.


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