Longest reigning President in world: किसी भी देश में जहां जनता को नेता चुनने का अधिकार है, वहां आपने किसी नेता को 15 साल या ज्यादा से ज्यादा 3 टर्म में 20 साल तक शासन करने के बारे में सुना होगा. वोटिंग के दौरान भी आपने विपक्षी दल को कुछ न कुछ वोट पाते भी देखा होगा, लेकिन दुनिया में एक ऐसा भी देश है जहां एक शख्स पिछले 43 वर्षों से शासन कर रहा है. सोमवार को आए चुनावी नतीजों में भी एक बार फिर वह जीत दर्ज कर चुका है. 80 साल के इस नेता को 99 फीसदी वोट मिले हैं. हम जिस नेता की बात कर रहे हैं उसका नाम तियोदोरो ओबियांग है. ओबियांग अफ्रीकी देश भूमध्यरेखीय गिनी (Equatorial Guinea) के राष्ट्रपति हैं. इसे इक्वेटोरियल गिनी के नाम से भी जाना जाता है. आइए विस्तार से जानते हैं ओबियांग की कहानी.


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इस देश की है कहानी


इक्वेटोरियल गिनी मध्य अफ्रीका में एक छोटा तेल उत्पादक देश है. रिपोर्ट के मुताबिक, इक्वेटोरियल गिनी में सोमवार को आए राष्ट्रपति, विधायी और नगरपालिका के शुरुआती चुनाव परिणामों में सत्ताधारी पार्टी PDGE को भारी अंतर से जीत मिलती दिख रही है. इस सत्ताधारी दल को लगभग 99 फीसदी वोट मिले हैं. यहां 43 साल से राज कर रहे राष्ट्रपति तियोदोरो ओबियांग इस जीत के बाद कहते हैं कि 'आप जो बोते हैं, वही काटते हैं.'


1979 में तख्तापलट कर बने थे राष्ट्रपति 


तियोदोरो ओबियांग के नाम दुनिया में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले नेता का रिकॉर्ड दर्ज हो चुका है. उन्होंने 1979 में सत्ता का स्वाद तब चखा था जब वह अपने चाचा का तख्तापलट करने के बाद देश के मुखिया की कुर्सी पर बैठे थे. तब से लेकर अब तक वह हमेशा 90 पर्सेंट से अधिक वोटों से जीत दर्ज करते आ रहे हैं. उनके सामने इस बार चुनाव में दो विपक्षी उम्मीदवार ब्यूनावेंटुरा मोन्सु असुमू और एंड्रेस एसोनो ओंडो खड़े थे. इसमें से असुमू पिछले 5 बार से उनके खिलाफ लड़ते आ रहे हैं लेकिन वह जीत से काफी दूर रह जाते हैं. ओंडो का यह पहला चुनाव था.


विपक्षी नेता ने लगाया चुनावों में धांधली का आरोप


करीब 15 लाख की आबादी वाले इस देश में लगभग 4 लाख लोग ही मतदान के लिए रजिस्टर्ड हैं. चुनाव नतीजों को देखते हुए एसोनो ओंडे ने इस चुनाव को फर्जीवाड़ा बताया है. उनका कहना है कि वह इस चुनाव परिणाम के खिलाफ अदालत का रुख करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव में अफसर लोगों पर सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में वोट करने का दाबाव बना रहे थे. वहीं, इस तरह के आरोपों पर सरकार का कोई भी बयान नहीं आया है. दूसरी ओर अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का आह्वान किया है. उन्होंने नागरिकों और विपक्ष को डराने धमकाने की खबरों पर चिंता जताई है.


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