नई दिल्लीः Amalaki Ekadashi 2024: आमलकी एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है. आमलकी शब्द का अर्थ आंवला होता है, इसी कारण से इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. ऐसा मान्यता है कि आज के दिन भगवान विष्णु और आवलें की पेड़ की पूजा करने का विधान है. आज के दिन आंवले की पेड़ की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है. आमलकी एकादशी जिसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है, ब्रज और काशी में इसी दिन से होली की शुरुआत भी हो जाती है. आइए जानते हैं, आमलकी एकादशी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में:
आमलकी एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी तिथि 20 मार्च को सुबह 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और 21 मार्च को सुबह 02 बजकर 22 मिनट पर समापन होगा. वहीं एकादशी पारण का समय 21 मार्च दोपहर 01:07 से 03:32 तक है.
आमलकी एकादशी का पूजा विधि
आमलकी एकादशी में आंवले का विशेष महत्व है. इस दिन पूजन से लेकर भोजन तक हर कार्य में आंवले का उपयोग होता है. सुबह उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प करना चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए. पूजा के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे नवरत्न युक्त कलश स्थापित करना चाहिए. आंवले के वृक्ष का धूप, दीप, चंदन, रोली, पुष्प, अक्षत आदि से पूजन कर उसके नीचे किसी गरीब, जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए.
आमलकी एकादशी व्रत का महत्त्व
आमलकी एकादशी का व्रत करने से सैंकड़ों तीर्थ दर्शन के समान पुण्य प्राप्त होता है. समस्त यज्ञों के बराबर फल देने वाले आमलकी एकादशी व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. जो लोग आमलकी एकादशी का व्रत नहीं करते हैं वह भी इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु को आंवला अर्पित करें और स्वयं भी खाएं.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप