Devashayani Ekadashi 20th July 2021 सोने जा रहे हैं भगवान विष्णु, जानिए मुहूर्त और पूजा विधि

 Devashayani Ekadashi 20th July 2021: एकादशी तिथि का शुभ मुहूर्त व पूजा विधि जान लीजिए, इसी आधार पर मंगलवार को पूजन किया जाएगा. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 19, 2021, 02:43 PM IST
  • एकादशी तिथि आरम्भ: 19 जुलाई 2021, सोमवार को रात्रि 09 बजकर 59 मिनट से
  • एकादशी तिथि समाप्त: 20 जुलाई 2021, मंगलवार को शाम 07 बजकर 17 मिनट तक
Devashayani Ekadashi 20th July 2021 सोने जा रहे हैं भगवान विष्णु, जानिए मुहूर्त और पूजा विधि

नई दिल्लीः Devashayani Ekadashi 20th July 2021: 20 जुलाई 2021 को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है. यह वह दिन है, जब सनातन परंपरा में सभी शुभ कार्यों का होना वर्जित हो जाता है और देव यानी कि भगवान विष्णु शयन पर चले जाते हैं.

हिंदू परंपरा में इस समय को चातुर्मास कहते हैं और इस तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं. 

एकादशी तिथि का शुभ मुहूर्त व पूजा विधि जान लीजिए, इसी आधार पर मंगलवार को पूजन किया जाएगा. 

एकादशी तिथि से पारण मुहूर्त तक
देवशयनी एकादशी तिथि: 20 जुलाई 2021, मंगलवार को

एकादशी तिथि आरम्भ: 19 जुलाई 2021, सोमवार को रात्रि 09 बजकर 59 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त: 20 जुलाई 2021, मंगलवार को रात्रि 07 बजकर 17 मिनट तक

पारण (व्रत तोड़ने का) समय: 21 जुलाई 2021, बुधवार की सुबह 05 बजकर 36 मिनट से 08 बजकर 21 मिनट तक

सबसे उत्तम देवशयनी एकादशी शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: 20 जुलाई 2021, सुबह 04 बजकर 14 मिनट से सुबह 04 बजकर 55 मिनट तक

अभिजित मुहूर्त: 20 जुलाई 2021, दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 55 मिनट तक

विजय मुहूर्त: 20 जुलाई 2021, दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त: 20 जुलाई 2021, शाम 07 बजकर 05 मिनट से 07 बजकर 29 मिनट तक

अमृत काल मुहूर्त: 20 जुलाई 2021, सुबह 10 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक

एकादशी पूजा सामग्री
सबसे पहले श्री हरिविष्णु का एक चित्र या कोई प्रतिमा ले लीजिए. पूजा से कुछ देर पहले ताजे पुष्प, नारियल, सुपारी, लौंग, घी, दीपक, धूप, फल, मिष्ठान, तुलसी दल, पंचामृत, चंदन, अक्षत समेत अन्य पूजन सामग्री भी एकत्रित कर लें. 

देवशयनी एकादशी की पूजा विधि
देवशयनी एकादशी का व्रत रखने वाले जातकों को इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण कर लेना चाहिए.
इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई कर के भगवान विष्णु की प्रतिमा को पीले रंग के आसन पर विराजमान कर के उनकी षोडशोपचार से पूजा करें.
इसके बाद भगवान विष्णु को पीले रंग के वस्त्र, पीले फूल और पीला चन्दन अर्पित करें. 

भगवान विष्णु के हाथ में शंख, चक्र, गदा और पद्म सुशोभित करें.
भगवान विष्णु को पान और सुपारी अर्पित करें.

इसके बाद उन्हें धूप और दीप दिखाकर पुष्प अर्पित करें और उनकी आरती करें.
इसके बाद नीचे बताए गए मंत्र का जाप करते हुए भगवान विष्णु का ध्यान करें.
‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्.
 विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्.

इस मंत्र का अर्थ है : हे जगन्नाथ जी! आपके निद्रित हो जाने पर संपूर्ण विश्व निद्रित हो जाता है और आपके जाग जाने पर संपूर्ण विश्व तथा चराचर भी जाग्रत हो जाते हैं.

भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इसके बाद स्वयं भी फलाहार ग्रहण करें.
रात में भगवान विष्णु का ध्यान करें और भजन-कीर्तन करें. इसके साथ ही स्वयं सोने से पहले भगवान विष्णु को सुलाएं.

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