नई दिल्ली: दीपावली का मतलब होता है "रोशनी की पंक्ति" और इसे अलग-अलग कारणों से मनाया जाता है. इसे भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में मनाने के रूप में भी मनाते हैं, जब उनके द्वारका लौटने के पीछे सवार हो रहे थे. दीपावली का यह अवसर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि यह माना जाता है कि इस दिन इन दोनों की आशीर्वाद से धन, समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है. अध्यात्मिक दृष्टिकोण से, दीपावली दुखों से छुटकारा पाने और सकारात्मक ऊर्जा को अपने जीवन में आने का मौका प्रदान करती है. यह त्योहार अपने अंदर के अंधकार को दूर करके जीवन को प्रकाशमय बनाने का संकेत होता है.
धनतेरस: धन और समृद्धि का आगमन
धनतेरस, भगवान कुबेर के पुत्र धन्वंतरि की पूजा के रूप में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है. यह त्योहार हर साल दीपावली के पूर्व दिन मनाया जाता है और लोग इस दिन धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए पूजा करते हैं.
धनतेरस, हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस वर्ष धनतेरस १० नवंबर २०२३ को मनाया जायेगा. इस दिन लोग गोदेवी लक्ष्मी और धन कुबेर की पूजा करते हैं, और धन की वर्षा की कामना करते हैं. यह दिन विशेष रूप से धन, समृद्धि, और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है.
इस लेख में, आचार्य माना अग्रवाल आपको धनतेरस से दीपावली तक के त्योहार के महत्व के साथ ज्योतिष और वास्तु सिद्धांतों के अनुसार कुछ महत्वपूर्ण सलाह और दिशा-निर्देश बताएंगी.
धनतेरस के दिन करें ये आसान वास्तु उपाय
1.सबसे पहले घर की साफ़ सफ़ाई कर लें और मुख्य द्वार को भी सजा लें.
2.इस दिन आप कुछ ख़ास वस्तुयें जैसे कलश, सोना, चाँदी के आभूषण, झाड़ू, धनिया के बीज ख़रीद के लाए.
3.इस दिन भगवान धन्वंतरि की तस्वीर अपने घर के उत्तर उत्तर पूर्व में लगायें इससे परिवार में अच्छी सेहत बनी रहेगी .
4.आप कुबेर जी की मूर्ति अपने घर के उत्तर दिशा में लगायें लेकिन वहाँ कोई धूप या अगरबत्ती ना जलायें.
धनतेरस की रात को इन ३ जगह जलायें दीपक घर में पूरे साल धन की कमी नहीं होगी
1.अपने घर के मंदिर में
2. घर में दक्षिण पूर्व दिशा में
3.घर के पास पीपल के वृक्ष के नीचे
दीपावली के त्योहार में ज्योतिष और वास्तु सिद्धांत
धनतेरस के बाद, हम दीपावली के महत्वपूर्ण त्योहार की ओर बढ़ते हैं. दीपावली हिन्दू कैलेंडर के कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक चलता है. इसका महत्व ज्योतिष और वास्तु सिद्धांतों के साथ जुड़ा होता है.
दीपावली पूजा: ज्योतिष और वास्तु सिद्धांत
दीपावली के दिन, लक्ष्मी पूजा का आयोजन किया जाता है. यह पूजा धन, समृद्धि, और खुशी की प्राप्ति के लिए क्रियान्वित की जाती है. ज्योतिष और वास्तु सिद्धांतों के आधार पर, कुछ महत्वपूर्ण सलाह हैं:
दीपावली के दिन, अपने घर के दक्षिण पूर्व दिशा में लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित करें, ताकि धन की ऊर्जा घर में आ सके.
वास्तु पूजा स्थल पर सोना और चांदी के आभूषण रखें, क्योंकि इससे समृद्धि और आर्थिक सुख की प्राप्ति होती है.
दीपावली के दिन, पूजा स्थल पर एक श्री यन्त्र स्थापित करें जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा को और भी मजबूत किया जा सके.
घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं, जो सुख और समृद्धि का प्रतीक होता है.
पूजा में माँ लक्ष्मी की लाल फूल चढ़ायें और स्फटिक का श्री यंत्र रखें और उसकी पूजा करें
लक्ष्मी मंत्र : “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नम”
पूजा का समय:
धनतेरस (Dhanteras) 10 नवंबर 2023- शुक्रवार 8:48 PM-10:26 PM
छोटी दिवाली (Chhoti Diwali) 11 नवंबर 2023- शनिवार 5:30 PM - 7:08 PM
दिवाली (Diwali) 12 नवंबर 2023 रविवार- 07:08 PM - 08:47 PM
गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) 13 नवंबर 2023 सोमवार सोमवार-6:41 AM- 8:02 AM
भाई दूज (Bhai Dooj) 14 नवंबर 2023 मंगलवार-12:05PM- 1:46 PM
इसे भी पढ़ें: Gaj Kesari Yog 2023: दिवाली पर बन रहा गजकेसरी राजयोग, 3 राशियों को मिलेगी हर क्षेत्र में कामयाबी
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.