नई दिल्ली  रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने दुनिया के सामने यकायक एक ऐसा नया संकट पैदा कर दिया जो कई मायनों में अप्रत्याशित और असंभावित था. भारतीय ज्योतिष की मानें तो अगले दो साल तक पूरा विश्व तनाव के दौर से गुजरेगा. कौन किसका दोस्त कब दुश्मन बन जाये. कहना मुश्किल होगा. ग्रहों की चाल यह बता रही है कि पुतिन की कुंडली में मंगल और शनि भारी होने के कारण रूस की ओर से और आक्रामक रूख अपनाया जायेगा. जो यूक्रेन के लिए ओर घातक साबित होगा.


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यूक्रेन का बुध कमजोर, सब कुछ गंवा बैठा
रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका की भूमिका एक राहु की तरह है जिसका एक दूसरे के करीब आना ही उसे बर्बादी की राह पर लेकर जाना है. अमेरिका की नीतियां छोटे देशों के लिए विघटनकारी और विनाशकारी रही है. अमेरिकी इतिहास में अब तक यही देखा गया है कि व्हाइट हाउस में जो भी बैठे. वह सामा्रज्यवादी नीतियों का ही बढ़ावा देता है. एक सोची समझी रणनीति के तहत यूक्रेन को बर्बाद कर दिया गया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेस्किी की कुंडली में बुध कमजोर कमजोर रहने से वह अमेरिकी कूटनीति को समझ नहीं पाया. और जब सब कुछ बर्बाद हो गया तो आज यूक्रेन पूरी दुनिया के समक्ष गिडगिड़ा रहा है कि कोई उसके अस्तित्व को बचाने में मदद करें. लेकिन रूस के डर से कोई देश फ्रंट फूट पर नहीं आ रहा है.


ग्रहों की वक्री चाल से रूस हो रहा है बर्बाद
रूस भी अपने हाथों ही सब कुछ तबाह कर रहा है. पिछले 45 दिनों से रूस यूक्रेन के साथ युद्ध कर रहा है. रूस का सबकुछ दांव पर लगा है. सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस को शक्तिशाली देश बनने में तीस साल लगे. लेकिन इस जंग से जो हालात उत्पन्न हो रहे है वह रूस के लिए भी उचित नहीं है. अगर यह युद्ध कुछ दिन और चला तो रूस की अर्थव्यवस्था चौपट हो जायेगी.
जब कुंडली में शनि, मंगल और राहु की यूति बन जाये तो जातक अपना सबकुछ खुद ही गवां बैठता है. रूस के सामने वहीं परिस्थितियां आयी हुई है. आन-बान-शान के कारण रूस अपने आप को मिटाने पर तुला है.


ज्योतिष की दृष्टि से रूस को कितना नुकसान
रूस दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जो कि तेल और गैस का विश्व में दूसरी बड़ी निर्यातक शक्ति है. और भले किसी का हो न हो, रूस आज यूरोप की ऊर्जा ज़रूरतों की ‘जीवन रेखा’ हैं जिसके बग़ैर यूरोप में ताला लग जाएगा. ऐसे में प्रतिबंध वो हथियार है जो दोतरफ़ा वार करता है
सच पूछें तो आर्थिक युद्ध के नतीजे बहुत कष्ट-दायक होते हैं और इनका सर्वाधिक प्रभाव बेगुनाह आम नागरिकों पर पड़ता है जो कि रोज़ी-रोटी, ज़िंदगी बचाने वाली अत्यावश्यक दवाओं, भोजन जैसी ज़रूरी चीज़ों से महरूम हो जाते हैं. इन परिणामों के कारण वास्तव में ऐसे आर्थिक प्रतिबंधों को तो युद्ध अपराध के दर्ज़े में डाला जाना चाहिए.


रूस-यूक्रेन जंग से बढ़ी भारतीय सेना की चिंता
भले ही रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है और दोनों के बीच जंग चल रही है, लेकिन इस कारण भारतीय डिफेंस को भी बड़ा खतरा पैदा हो गया है. दरअसल भारतीय सेना के तीनों अंगों को डिफेंस इक्विपमेंट की करीब 60 फीसदी सप्लाई रूस से मिलती है, लेकिन जंग के कारण यह सप्लाई बंद होने का डर है. इससे भारतीय सेना के पास हथियारों की कमी होने की आशंका है. इस नुकसान से निपटने के लिए भारत सरकार ने देश में ही इन हथियारों का प्रोडक्शन बढ़ाने की योजना बनाई है.

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