Hartalika Teej Katha: हरतालिका तीज की पूरी व्रत कथा, पढ़ें यहां

Hartalika Teej Vrat Katha in hindi: हरतालिका तीज आज मनाई जा रही है. इस दिन कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं जबकि सुहागिन महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य की मनोकामना के साथ व्रत करती हैं. इस दिन हरतालिका तीज की व्रत कथा पढ़ी जाती है. यहां जानें हरतालिका तीज की पूरी व्रत कथाः 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 6, 2024, 09:02 AM IST
  • 6 सितंबर को है हरतालिका तीज
  • यहां पढ़िए तीज की पूरी व्रत कथा
Hartalika Teej Katha: हरतालिका तीज की पूरी व्रत कथा, पढ़ें यहां

नई दिल्लीः Hartalika Teej Vrat Katha 2024 in hindi: हरतालिका तीज आज है. इसमें महिलाएं और कुंवारी लड़कियां निर्जला व्रत रखती हैं. भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि पर हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है. हरतालिका तीज पर मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है. हरतालिका तीज व्रत कथा करने का बड़ा महत्व है. ऐसे में जानिए हरतालिका तीज व्रत कथाः

हरतालिका तीज व्रत कथा (Hartalika Teej Vrat Katha)

हरतालिका तीज की पौराणिक कथा इस प्रकार है कि मां सती ने अपने शरीर को फिर से धारण किया था और उन्होंने हिमालय राज के परिवार में माता पार्वती के रूप में जन्म लिया था. हिमालय राज चाहते थे कि माता पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से हो लेकिन माता पार्वती ने पूर्व जन्म के प्रभाव के कारण शिव जी को अपने पति के तौर पर स्वीकार कर लिया था.

उधर भगवान भोलेनाथ माता सती के शरीर त्यागने के बाद से तपस्या में चले गए थे. वे तपस्वी हो गए थे जबकि माता पार्वती उनको मन ही मन पति मान चुकी थीं. वह उन्हें पाने की इच्छा रखती थीं. लेकिन माता पार्वती के पास जाकर नारद जी ने सूचना दी कि आपके पिता ने आपका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया है. यह सुनकर पार्वती बहुत निराश हुईं उन्होंने अपनी सखियों से अनुरोध कर उसे किसी एकांत गुप्त स्थान पर ले जाने को कहा.

माता पार्वती की इच्छानुसार उनके पिता महाराज हिमालय की नजरों से बचाकर उनकी सखियां माता पार्वती को घने सुनसान जंगल में स्थित एक गुफा में छोड़ आईं. यहीं रहकर उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिंग की स्थापना की. संयोग से हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का वह दिन था जब माता पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना की. इस दिन निर्जला उपवास रखते हुए उन्होंने रात्रि में जागरण भी किया.

उनके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए माता पार्वती को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया. अगले दिन अपनी सखी के साथ माता पार्वती ने व्रत का पारण किया और समस्त पूजा सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया. माता पार्वती के पिता भगवान विष्णु को अपनी बेटी से विवाह करने का वचन दिए जाने के बाद पुत्री के घर छोड़ देने से व्याकुल थे. फिर वह पार्वती को ढूंढते हुए उस स्थान तक जा पहुंचे, जहां वह भगवान शिव की पूजा कर रही थीं.

इसके बाद माता पार्वती ने उन्हें अपने घर छोड़ देने का कारण बताया और भगवान शिव से विवाह करने के अपने संकल्प और शिव द्वारा मिले वरदान के बारे में बताया. तब पिता महाराज हिमालय भगवान विष्णु से क्षमा मांगते हुए भगवान शिव से अपनी पुत्री के विवाह को राजी हुए. वहीं भोलेनाथ भी माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया.

यही कारण है कि कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए हरतालिका तीज व्रत रखती हैं जबकि सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य पाने के लिए व्रत रखती हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)

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