Khatu Shayam Baba: क्यों कहा गया खाटू श्याम जी को हारे का सहारा, बाबा को इन नामों से भी पुकारा जाता है

Khatu Shyam Baba: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर में लोगों की बड़ी आस्था है. मान्यता है कि खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण का कलयुगी अवतार कहा गया है. आइए जानते हैं कि खाटू श्याम जी को यह नाम क्यों मिला. 

Written by - Shruti Kumari | Last Updated : Jan 11, 2024, 01:26 PM IST
  • होली में लगता है मेला
  • निशान का महत्व
Khatu Shayam Baba: क्यों कहा गया खाटू श्याम जी को हारे का सहारा, बाबा को इन नामों से भी पुकारा जाता है

नई दिल्लीः Khatu Shayam Baba: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर लोगों के बीच बहुत ही लोकप्रिय है. खाटू श्याम बाबा की महिमा का बखान करने वाले भक्त भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कोने-कोने में मौजूद हैं. देशभर के लोग यहां अपनी मनोकामना लेकर आते हैं. मान्यताओं के अनुसार, खाटू श्याम जी को भगवान कृष्ण का कलयुगी अवतार कहा गया है. उन्हें हारे का सहारा, तीन बाण धारी और शीश के दानी के नामों से जाना जाता है. आइए जानते हैं कि खाटू श्याम जी को ये नाम क्यों मिले. 

इसलिए कहलाए हारे का सहारा
महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेने के लिए बर्बरीक ने अपनी माता से आज्ञा मांगी थी. इस पर बर्बरीक की मां ने उन्हें आज्ञा देते हुए ये वचन लिया था कि वह युद्ध में हार रहे पक्ष का साथ देंगे. तभी से खाटू श्याम हारे का सहारा कहलाने लगे थे.

तीन बाण धारी
बर्बरीक से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें तीन बाण दिए थे, इसलिए इन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है.  

शीश का दानी 
अपनी मां के कहे अनुसार बर्बरीक युद्ध में हारने वाले पक्ष का साथ देने आए. तब भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप बनाकर बर्बरीक से शीश दान में मांगा. इसलिए उन्हें शीश का दानी कहा जाता है.
 
खाटू श्याम पूरी करते हैं मनोकामना
भगवान श्री कृष्ण बर्बरीक के बलिदान को देखकर काफी प्रसत्र हुए थे और उन्हें वरदान दिया था कि कलियुग में वे श्याम के नाम से पूजे जाएंगे. मान्यता है कि जो भी भक्त यदि सच्चे मन से खाटू श्याम का नाम लेता है और  प्रेम-भाव से खाटू श्याम की पूजा करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जिदंगी के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं. 

होली में लगता है मेला
होली के मौके पर यहां हर साल मेला भी लगता है और देश-विदेश से भक्त खाटू श्याम के दर्शन के लिए आते हैं. बताया जाता है कि फाल्गुन माह में खाटू श्याम मंदिर की स्थापना की गई थी.  

निशान का महत्व
खाटू श्यामजी को निशान चढ़ाने की परंपरा है और यह निशान बेहद पवित्र माना जाता है. खाटू श्याम का जो निशान है, उसे झंडा कहते हैं. यह निशान श्याम बाबा द्वारा दिए गए बलिदान और दान का प्रतीक माना गया है. श्याम बाबा के ध्वज का रंग केसरिया, नारंगी और लाल रंग का होता है, उस निशान पर श्याम बाबा के चित्र होते हैं. 

मान्यता है कि इस निशान को चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भक्त अपने हाथों में निशान बाबा का ध्वज को लेकर खाटू श्याम मंदिर तक आते हैं. यह यात्रा रींगस से खाटू श्याम मंदिर तक की जाती है, जो 18-19 किमी की होती है.   

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)

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