नई दिल्ली Masane Ki Holi:होली हिंदू का प्रमुख त्योहार है. इस साल 8 मार्च को होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. होली को लेकर देशभर में अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. देशभर में होली रंगों के साथ खेली जाती है. लेकिन भोलेनाथ की नगरी काशी में बेहद ही अलग अंदाज में होली खेली जाती है. यहां पर चिता भस्म की होली खेली जाती है. काशी में इस होली को 'मसाने की होली' कहा जाता है. आइए जानते हैं भस्म होली के बारे में कुछ दिलचस्प किस्से. 


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भगवान शिव ने शुरू की ये होली
भस्म होली को 'मसाने की होली' के नाम से जाना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार इस परंपरा की शुरुआत भगवान शिव ने किया है. रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद काशी के मणिकर्णिका घाट पर भगवान शिव विचित्र होली खेलते हैं. 


कैसे शुरू हुई परंपरा 
पौराणिक कथा के अनुसार रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव मां पार्वती का गौना कराने के बाद उन्हें काशी लेकर आए थे. उस समय उन्होंने अपने गणों के साथ रंग-गुलाल के साथ होली खेली थी. लेकिन वह श्मशान के भूत, पिशाच, प्रेत और जीव जंतु के साथ होली नहीं खेल पाए थे. इसलिए रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद महादेव ने शमशान में बसने वाले भूत-पिशाचों के साथ होली खेली थी. 


ऐसे मनाई जाती है भस्म होली 
बनारस में रंग-गुलाल के अलावा धधकती चिताओं के बीच चिता भस्म की होली खेली जाती है. चिता भस्म की होली खेली जाती है. चिता भस्म की होली पर बाबा विश्वनाथ के भक्त जमकर झूमते हैं. परंपरा के अनुसार मसाननाथ की प्रतिमा पर अबीर-गुलाल लगाने के बाद घाट पर पहुंचकर ठंडी हो चुकी चिताओं की राख उठाई जाती है और एक दूसरे पर फेंककर परंपराओं के अनुसार भस्म होली खेली जाती है. 


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


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