10 या 11 अक्टूबर, कब है अष्टमी और नवमी तिथि? किस दिन कर सकते हैं कन्या पूजन, जानें शुभ मूहूर्त और विधि

Navratri Ashtami Navami: नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का अपना महत्व है लेकिन इस बार इन तिथियों को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति है. कोई अष्टमी और नवमी तिथि 10 अक्टूबर को समझ रहा है तो कोई 11 अक्टूबर को ऐसे में पंडित डॉ. अनीष व्यास से जानिए कब है इस बार अष्टमी और नवमी तिथिः

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 4, 2024, 03:59 PM IST
  • कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त कब
  • जानिए कैसे करें कन्या पूजन
10 या 11 अक्टूबर, कब है अष्टमी और नवमी तिथि? किस दिन कर सकते हैं कन्या पूजन, जानें शुभ मूहूर्त और विधि

नई दिल्लीः Navratri 2024: नवरात्रि शुरू हो चुकी है. भक्तगण देवी मां की पूजा अर्चना में लगे हुए हैं. कई श्रद्धालु पूरी नवरात्रि व्रत रखते हैं तो कई पहली नवरात्रि के बाद अष्टमी और नवमी पर व्रत रखते हैं लेकिन इस बार नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति है. कब है अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत, जानिए बता रहे हैं पंडित डॉ. अनीष व्यासः

कब है अष्टमी और नवमी तिथि

इस साल शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि का आरंभ 10 अक्टूबर को दोपहर 12:31 बजे से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12:06 मिनट पर होगा. अष्टमी तिथि के समाप्त होते ही नवमी तिथि शुरू हो जाएगी, जिसका समापन 12 अक्टूबर को सुबह 10:57 बजे पर होगा. 

उदयातिथि के आधार पर इस बार अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत 11 अक्टूबर 2024 को एक दिन ही रखा जाएगा. इस आधार पर महाअष्टमी और महानवमी तिथि 11 अक्टूबर 2024 को है और इसी दिन कन्या पूजन करेंगे.

कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

कन्या पूजन 11 अक्टूबर को सुबह 7:47 बजे से लेकर 10:41 बजे तक कर सकते हैं. इसके बाद दोपहर 12:08 बजे से लेकर 1:35 बजे तक कर सकते हैं.

जानिए कैसे करें कन्या पूजन

कन्या पूजन के दिन घर आईं कन्याओं का सच्चे मन से स्वागत करना चाहिए. स्वच्छ जल से उनके पैरों को धोना चाहिए. सभी नौ कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए. कन्याओं को साफ आसन पर बैठाना चाहिए. उनके माथे पर कुमकुम का टीका लगाना चाहिए और कलावा बांधना चाहिए. कन्याओं को भोजन कराने से पहले अन्य का पहला हिस्सा देवी मां को भेंट करें, फिर सारी कन्याओं को भोजन परोसें. 

वैसे तो मां दुर्गा को हलवा, चना और पूरी का भोग लगाया जाता है. लेकिन अगर आपका सामर्थ्य नहीं है तो आप अपनी इच्छानुसार कन्याओं को भोजन कराएं. भोजन समाप्त होने पर कन्याओं को अपने दक्षिणा अवश्य दें. अंत में कन्याओं के जाते समय पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और देवी मां को ध्यान करते हुए कन्या भोज के समय हुई कोई भूल की क्षमा मांगें. ऐसा करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं.

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